इंग्लैंड का शासन | England Ka Shasan

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England Ka Shasan  by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बादशाह और प्रिवौ कॉसिल ` १३ स्वीकृति न दी हो । इससे मालम होता है कि बादशाह की स्वीकृति एक जान्ते की चीज है | बादशाह पालिमेंट की बैठक बुलाता है, स्थगित करता है और भंग भी करता है। साल में एक बार पालिमेंट को बुल्ााना आवश्यक है। बादशाह ही न्याय का श्रोत्त माना जाता है। न्यायाधीशों द्वारा किया गया न्याय बादशाह के नाम पर किया जाता है ओर वह न्याय बादशाह द्वारा किया हुआ सममा जाता है। इ'गलेंड में बादशाह को पालिमेंट की स्वीकृति से न्यायालय बनाने ओर तोड़ने का अधिकार है। घह जजों को नियुक्त करता है, परन्तु बिना पालिमेंट की अनुमति के वह उन्हें निकाल नहीं सकता। भारत और अन्य उपनिवेशों के लिए बादशाह -ही अपील सुनने का अधिकारी है। (प्रिवी कॉसिल की एक कमेटी बादशाह को न्याय सम्बन्धी मामलों में सलाह देती है |) बादशाह इ'गलेंड की च्चे। (धार्मिक संस्थाओं) का प्रधान है। वह आक॑ं-विशप ( लाट पादरी ) और चच के अन्य श्रधि- कारियों की नियुक्ति करता है। धर्म सम्बन्धी सब मामलों में बादशाह ही ब्रिटिश संयुक्त राज्य में प्रधान है। बादशाह उपाधि ओर अन्य पद्वियाँ प्रदान करता है। ऊपर कहे गये अधिकारों को बादशाह कभी स्वेह्छा से व्यवहार में नहीं लाता वरल संत्री- मंडल की इच्छालुसार दी उनका प्रयोग करता है । बादशाह के विशेष अधिकार-वादशाह को कुछ विशेष अधिकार ऐसे भी हैं जो उसे कानून से प्राप्त नहीं हैं। इन अधिकारों को वह पालिमेंट की अनुमति के बिना ही काम में ला




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