समाधान | Samadhan

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Samadhan by आचार्य श्री नानेश - Acharya Shri Naneshश्री शान्ति मुनि - Shri Shanti Muni

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श्री शान्ति मुनि - Shri Shanti Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आप कल्पना करिये कि एक पुरुष मतीजे के पद पर है और एक पुरुष चाचा के पद पर है चाचा के पद पर रहनेवाला १० वपं का है - उसमे विवेक नहीं, ज्ञान नहीं मतीजा २५ वब का है सासायिक, प्रतिक्रमण जानता रहै, आचरण की दृष्टि से भी भतीजा वडा है लेकिन नमस्कार कौन करेगा ? मतीजा करेगा क्योंकि दूसरा काका के पद पर है पद की दृष्टि से नमस्कार होता है और उसी दृष्टि से ऊपर नीचे बैठने का प्रसग आता है दूसरा उदाहरण ले - एक बहू करीब ५० वर्ष की है और ३५ वषं की अवस्था मे उसने शीर ब्रत ले लिया है पति पत्नी भाई बहन की तरह रहते है बहू खूब तपस्या करती है उसकी सासूजी ६० या ६२ वर्ष की है सासु जी काल कर गई ससुर जी से रहा नही गया, इसलिए १६ वर्ष की क्डकी कं साय शादी करली वह॒ १६ वषं की वहिन कुछ नही जानती है मूर्ख है, क्यो कि ऐसे बुड़ढे को तो वैसी ही स्त्री मिलेगी शादी करके ससुर जी उसको घर में ले आये अब कौन पगे लगेगी या नमस्कार करेगी ? बहु तो इतनी ज्ञानवान और चारित्र सपन्न है तथा उम्र में भी बडी है कितु फिर भी उम्र में छोटी सास को पर्गो लगेगी, क्योकि सास का पद वडा हं | एक पिता के पहले पुत्र का जन्म हुआ फिर पुत्री का फिर पुत्र का और फिर पुत्री का तो बडा कौन हुआ ? कल्पना करिये मगवान महावीर हम सवके पिता हं उन्होने चार तीर्थो की स्थापना कौ सवसे पहले उन्होने साधु पत्र को जन्म दिया मौर वाद में साधूवी को फिर श्रावक के भौर उसके वाद श्राविका को इस दृष्टि से साधु बडा हुआ इसलिए साधूविया चाहे ज्ञान में बडी है, चारित्र में वडी हैं लेकिन मगवान ने पहले साधु को जन्म दिया इसलिए साधु ऊपर बैठते है पद संबंधी विवेचन में एक और उदाहरण लीजिये । पाच सौ या हजार साधु है, जो न




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