भारत का औद्योगीकरण | Bharat Ka Aoudyogikaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क
हमारी अथे व्यवस्था में ऑद्योगीकरण का महत्व ३
विभिन्न देशों का क्रषि उत्पादन*
রে
( प्रति एकड़ पींएड )
! कर
देश | गेहूँ चावल , गन्ना ¦ रई
| ष
मिसः ` श६्ए्त सध्ध्य ७०४०२ / ५३५
जमना ०१९५ निव সি উদ
इटली १३८३ ছল -- १५८
जापान १७१६ ४८४ ८८५६४ ५६६
अमरीका ८१२ ८१८५ ५२२५८ দহ
चीन উল २८४३२ -- २०९
भारत ६६० , {८८४८ ३४६४४ ६
ऊपर की तालिकाओं से स्पष्ट है कि भारत ओद्योगिक और कृषि
उत्पादन दोनों में ही कितना पिछड़ा हुआ है । गत डेढ़ सौ वर्षो
से. देश का आर्थिक विकास अवरुद्ध है। चाहे इस स्थिति का
कारण हमारी राननेतिक पराधीनता हो या आर्थिक ज्षेत्र में हमारी
अकर्मण्यता, इतना निश्चित है कि न तो हमने देश छी प्राकृतिक
सम्पत्ति का पूरा उपयोग ही किया हैं ओर न इस सम्पत्ति के उप-
योग करने क साधनों ( यंत्र-मशीन ) का ही निर्माण किया है।
इस अवरोध की स्थिति को हमें समाप्त कर उत्पादन वृद्धि के
लिये अनुक्कत वातावरण उत्पन्न करना हैँ । तभी हम धन्य राष्ट्रों
के समान वापिक उत्पत्ति कर सकेंगे। इसके लिये हमें ओज्योगी-
करण तेजी के साथ करना आवश्यक है |
राष्ट्रीय आय राष्ट्र की वार्पिक उत्पत्ति पर निर्भर करती है।
वार्पिक उत्तत्ति अधिक होने पर उत्पादन साधनों को अधिक पारि-
ॐ नानाचदी : दी इंडियन हरल प्राब्लम, प्रप्ठ ४० |
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