भारत का औद्योगीकरण | Bharat Ka Aoudyogikaran

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Bharat Ka Aodhogikaran by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क हमारी अथे व्यवस्था में ऑद्योगीकरण का महत्व ३ विभिन्न देशों का क्रषि उत्पादन* রে ( प्रति एकड़ पींएड ) ! कर देश | गेहूँ चावल , गन्ना ¦ रई | ष मिसः ` श६्ए्त सध्ध्य ७०४०२ / ५३५ जमना ०१९५ निव সি উদ इटली १३८३ ছল -- १५८ जापान १७१६ ४८४ ८८५६४ ५६६ अमरीका ८१२ ८१८५ ५२२५८ দহ चीन উল २८४३२ -- २०९ भारत ६६० , {८८४८ ३४६४४ ६ ऊपर की तालिकाओं से स्पष्ट है कि भारत ओद्योगिक और कृषि उत्पादन दोनों में ही कितना पिछड़ा हुआ है । गत डेढ़ सौ वर्षो से. देश का आर्थिक विकास अवरुद्ध है। चाहे इस स्थिति का कारण हमारी राननेतिक पराधीनता हो या आर्थिक ज्षेत्र में हमारी अकर्मण्यता, इतना निश्चित है कि न तो हमने देश छी प्राकृतिक सम्पत्ति का पूरा उपयोग ही किया हैं ओर न इस सम्पत्ति के उप- योग करने क साधनों ( यंत्र-मशीन ) का ही निर्माण किया है। इस अवरोध की स्थिति को हमें समाप्त कर उत्पादन वृद्धि के लिये अनुक्कत वातावरण उत्पन्न करना हैँ । तभी हम धन्य राष्ट्रों के समान वापिक उत्पत्ति कर सकेंगे। इसके लिये हमें ओज्योगी- करण तेजी के साथ करना आवश्यक है | राष्ट्रीय आय राष्ट्र की वार्पिक उत्पत्ति पर निर्भर करती है। वार्पिक उत्तत्ति अधिक होने पर उत्पादन साधनों को अधिक पारि- ॐ नानाचदी : दी इंडियन हरल प्राब्लम, प्रप्ठ ४० |




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