एक भेट (नाटक) | Ek Bhet (Natak)
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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राजनाथ--आप तो गिन कर रख लेते दै महीने मे, भटा आप
क्यों न शन्त होगे १
दिवाकर--न् मत्तक पर हाथ पटककर ] ओफ ! [ झ्िवनाथ से ]
जाओ वेटा तुम धर जाओं ।
[ शिवनाथ घर जाते हैं. ]
दिवाकर--यह सब क्या ९
राजनाथ--आये और झाइने छगे आइैर मुझ पर, भेंस छाया
में वॉध दो, गोवर-कड़ा साफ कर दो। क्यो? में कोई
गुखम हैँ इनका ९
दिवाकर--अरे !
राजनाथ--मैं भी नहीं उठा, तो ऐंठ गये । बोले, शाह कहों है ९
मैं कोई आ छगाने वाला हु, झाड़ू पूछे नौकर से ।
दिवाकर--अरे वेटा, वुम्दारा वड़ा भाई है, उसमे धुरा दी स्या
कह दिया उसने | तुम्हारे लिए कया नहीं करता वह ९
राजनाथ--आप भी पिताजी भुम पर लीपने लगे। अभी उस
दिन आप ही न माने । मैस ने मार ही दी पूँछ, कितना
गन्द्रा हो गया था मेय सूट ।
दिवाकर--घुछा भी तो दिया था तुम्हारे इसी भेया ने | तुरत दे
दिया था पहनने को अपना, आर स्वयं बस यो ही ।
राजनाथ--तो कोई बात कहने के पहले टाइम और मूड भी तो
देख लेना चाहिए ।
दिवाकर--इसका च्या अर्थ ?
राजनाथ--अर्थ स्या, मेरे पास आया था मेरा एक क्लासफेलो--
दिनेशचन्द, जिसका फादर डिप्टी कलेक्टर है। उन्हें आता
देख पूछ चेठा, ये कोन ९
दिवाकर--अच्छा !
राजनाथ--ये आ रहे थे धोती-कुरते में थ्ड क्लास पोजीमन में,
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