ध्वनि संप्रदाय और उसके सिद्धांत | Dhwani Sampraday Aur Uske Siddhant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
526
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ भोलाशंकर व्यास - Dr. Bholashankar Vyas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
पाश्वास्य विद्धान् भौर शब्दशक्ति--पाश्चास्य विद्धान् यर युख्याथं-
अरस्तू के मत में शब्दों के प्रकार--पारचात्यों के मत से छाक्षणिक प्रयोग की
बिशिष्टता--पाइ्चात्यों के मतामुसार छाक्षणिकता के तत््य--अरस्तू के ४
प्रकार के छक्षणा मेद--इंससे बाद के विद्वानों के द्वारा सम्मत मेद--घाति से
व्यक्ति--व्यक्ति से जाति वाली लाक्षणकता--व्यक्ति से व्यक्तिगत--साघम्यंगत
--अरस्तू के द्वारा निर्दिष्ट लाक्षणिक प्रयोग के ५ परमावश्यक गुण--समस्त
छाक्षणिक प्रयोगों में उाघम्यंगत की उत्कृष्ठता,--साधम्यंगत व्यक्षणिकता के दो
तरह के प्रयोग--यही पारचात्य साहित्यशास्त्र के समस्त साधम्बमृलक বল
कारो का माधार हे-मेटेफर के विषय মঁ ভিভহী, क्विन्तीलियन, तथा दुमासे
का मत--मेटेफर के संबध जॉड्गन तथा रिचर्ड्स का मत--उपसंहार |
चतुर्थ परिच्छेद
तात्पयेबृत्ति झौर वाक्याथे
तालये बृत्ति--वाक्य परिभाषा तथा वाक्याथ--वाक्या्थ ক্ধা লিলিত্ব__
प्रथममत, अखंड वाक्य अर्थप्रत्यापक है--दूसरा मत, पृ्यपद-पदार्थ-संस्कार
युक्त वर्ण का ज्ञान वाक्याथ शान का निमित्त है- तृतीय मत, स्मृतिदपणारूढा
वर्णमाछा बाक्याथंप्रतीति का निमित्त है--चतुथमत, सन्विताभिषानवाद--
पंचम मत, अभिष्ितान्वयवा द-तातय बति का संकेत--आकांक्षादि देतुत्रथ-
उपसंहार ।
पंचम परिच्छेद
व्यंजना वृत्ति, ( शाब्दी ध्यंजना )
कायय में प्रतीयमान अथ--व्यञ्जना जैठती नई झक्ति की कब्पना--
व्यज्जना की परिभाषा--ब्यञ्जना की अमिधा तथा लक्षणा ञे भिन्नता --ज्यज्ञना
के द्वारा अयप्रतीति कराने में शब्द तथा अथ दोनों फा साइचय--ष्यज्ञना
शक्ति में प्रकरण का महत्व--शारूदी व्यज्बना--अभिषामलछा शाब्दी व्यज्ञना-
रेष से एडका भेद -शन्दशक्ति मूला जैठे मेद् के विषय मरं अप्यय दीक्षित का
मत--अभिषामूछा शाब्दी व्यज्जना के विषय में महिमभट्ट का मत--मह्विंस
मष्ट के मत का खण्डदन--शाब्दी व्यंजना के सँब्ंध से भभिनव तथा पंढित
राज का मत ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...