ध्वनि संप्रदाय और उसके सिद्धांत | Dhwani Sampraday Aur Uske Siddhant

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Dhwani Sampraday Aur Uske Siddhant by डॉ भोलाशंकर व्यास - Dr. Bholashankar Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) पाश्वास्य विद्धान्‌ भौर शब्दशक्ति--पाश्चास्य विद्धान्‌ यर युख्याथं- अरस्तू के मत में शब्दों के प्रकार--पारचात्यों के मत से छाक्षणिक प्रयोग की बिशिष्टता--पाइ्चात्यों के मतामुसार छाक्षणिकता के तत््य--अरस्तू के ४ प्रकार के छक्षणा मेद--इंससे बाद के विद्वानों के द्वारा सम्मत मेद--घाति से व्यक्ति--व्यक्ति से जाति वाली लाक्षणकता--व्यक्ति से व्यक्तिगत--साघम्यंगत --अरस्तू के द्वारा निर्दिष्ट लाक्षणिक प्रयोग के ५ परमावश्यक गुण--समस्त छाक्षणिक प्रयोगों में उाघम्यंगत की उत्कृष्ठता,--साधम्यंगत व्यक्षणिकता के दो तरह के प्रयोग--यही पारचात्य साहित्यशास्त्र के समस्त साधम्बमृलक বল कारो का माधार हे-मेटेफर के विषय মঁ ভিভহী, क्विन्तीलियन, तथा दुमासे का मत--मेटेफर के संबध जॉड्गन तथा रिचर्ड्स का मत--उपसंहार | चतुर्थ परिच्छेद तात्पयेबृत्ति झौर वाक्याथे तालये बृत्ति--वाक्य परिभाषा तथा वाक्याथ--वाक्या्थ ক্ধা লিলিত্ব__ प्रथममत, अखंड वाक्य अर्थप्रत्यापक है--दूसरा मत, पृ्यपद-पदार्थ-संस्कार युक्त वर्ण का ज्ञान वाक्याथ शान का निमित्त है- तृतीय मत, स्मृतिदपणारूढा वर्णमाछा बाक्याथंप्रतीति का निमित्त है--चतुथमत, सन्विताभिषानवाद-- पंचम मत, अभिष्ितान्वयवा द-तातय बति का संकेत--आकांक्षादि देतुत्रथ- उपसंहार । पंचम परिच्छेद व्यंजना वृत्ति, ( शाब्दी ध्यंजना ) कायय में प्रतीयमान अथ--व्यञ्जना जैठती नई झक्ति की कब्पना-- व्यज्जना की परिभाषा--ब्यञ्जना की अमिधा तथा लक्षणा ञे भिन्नता --ज्यज्ञना के द्वारा अयप्रतीति कराने में शब्द तथा अथ दोनों फा साइचय--ष्यज्ञना शक्ति में प्रकरण का महत्व--शारूदी व्यज्बना--अभिषामलछा शाब्दी व्यज्ञना- रेष से एडका भेद -शन्दशक्ति मूला जैठे मेद्‌ के विषय मरं अप्यय दीक्षित का मत--अभिषामूछा शाब्दी व्यज्जना के विषय में महिमभट्ट का मत--मह्विंस मष्ट के मत का खण्डदन--शाब्दी व्यंजना के सँब्ंध से भभिनव तथा पंढित राज का मत ।




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