नालन्दा | Nalanda

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Nalanda by हीरानन्दजी - Heeranand ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नगमालन्दा ८. अचां शै जो सथ विषयों पर अधिकार रखते श भोर जो अपने साच्य गुणों के कारण सबमें श्रेष्ठ माने जाते हैं। यहां प्रति दिन प्राय: एक सौ चबूतरे या म॑च बनाये जाते हैं जिन पर से महात्मा लीग उपदेश करते हैं जो सब विद्यार्थियों को अवश्य सुनने पड़ते हैं। यहां जितने साधु लोग हैं उनका भ्राचरण सदा शुद्ध रह्मा है। तभो तो गल ७०० वर्षो' से, जब से नालन्दा महाविदा- लय का सचपात इआ, कोई अपराधो नहीं निकाल । यहां के राजा ने एक सो ग्राम नालन्दा को दे रक्‍्ले हैं, जिनका सब प्रकार का कर छोड दिया गया है। इन ग्रा्मों के २०० निवासो विद्यार्थियों के लिये प्रतिदिन नियत प्रमाण में चावल, टूघ ओर माखन जुटाए जाते हैं जिससे छात्रों को किसो प्रकार को “प्रतोच्चा' नहीं करनो पडतो। नालन्दा में रहने वाले साधुओं को योग्यता ओर बुचि- वेचचग्य सुविख्यात है। इसका चाल चलन और धार्मिक जीवन निष्कलंक है । यहां सबको सच्चे ऋरूदय से धार्मिक आदेशों का परिपालन पूर्ण रूप से करना पडता है। यहां रात दिन बड़े बड़े गूट विषयों पर शास्त्रार्थ होते रहते हैं जिनसे क्या बुढे क्या जवान सब को जान तंदि होतो है। जिनका ज्ञान केवल जिपिटका तक हौ परिमित है उन्हें तो लज्जा से अपना मं छिपाना पडता है। इस मह्ाविक्षर में भारतवर्ष के सिल भिन्न प्रास्तों से शास्रप्रेमो शासत्राथे के लिये आते हैं। নি




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