हिंदी गद्य के विविध रूप | Hindi Gadh Ke Vividh Roop
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.4 MB
कुल पष्ठ :
356
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका श्श्ः
गई । व कविता के मदान से भी निकाली जा रदी है! । खड़ी
चोली का इतिहास तेरहवीं शताब्दी से छारम्भ होता है और तदा
से यद्द उन्नति फरती रही है, यहां तक कि 'ाज यह राष्ट्रीय
भाषा के उच्च पद के योग्थ समभी जा रही है ।
ऊपर बताया जा चुका है कि हिन्दी देवनागरी लिपीमें लिखी
जाती है | यद्द देवनागरी ब्राह्मी लिंपी से निकली है । संग्छत तथा
सराठी भापा इसी देवनागरी में लिखी जाती हैं और रुजराती
तथा बंगाली इन दोनों की लिपि तथा गुरमुखी भी इससे)
मिलती जुलती है। देव नागरी लिपि वेज्ञानिक हे। यदि इन
सर्व प्रान्तों में इसी का प्रचार हो जाय तो देश में एकता पेदा
करने तथा राष्ट्रीय घन र समय बचाने में यदद सहायक होगी ।
हिंदी गद्य के हास के कारण
गय तथा पद
छन्य प्राचीन लोगों के समान श्राचीन भारतीय भी गद्य की
शपेक्षा पद्य को 'झाच्छा समभते थे । इसी लिए संस्कृत साहित्य का
बद्डत थोडा अश गद्य में थो, बहुत से प्रीचीन ग्रन्थ; जैसे वेद»
रामायण महाभारत छादि पद दी में थे; यही नहीं; व्याकरण ,
च्योतिप, चेद्यक, इतिहास, पुराण, कोष प्रन्थ छादि भी पथ में
रे गये थे ।
पहले पदल द्िन्दी का साहित्य भी पदयमय था । वीरगाथाकाल:
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