व्यावसायिक संगठन | Vyavsayik Sangathan

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Vyavsayik Sangathan by प्रोफेसर केदारनाथ प्रसाद - Professor Kedarnath Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(8) किया । भज्जा एक तितली को मारने के द्विए तीर चक्ाना चाये, सिप एक कंद से ही उका काम तमाम हो सक्ता है 17 ल्ञेकिन भाई, में तो किसी शङ्का ॐ उपर भी बेत चल्लाना पाप खम्रसता हूँ, डिसी 'तितल्ली” के ऊपर क्व चलाने छौ बात तो षुत दूर की चीज है! गिरी, 1 हग्हारा ही मित्र, डाकघर-विकटोरिया-मिशन [ केदारनाथ प्रसाद, चम्पारण अथंशास्त्र--विभाग, अगस्तका क्रान्तिकारी पर ) पटना कॉलेज, पटना विश्विध्याजय । स्वर्णिम मास (१६४१) |




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