प्रताप - पियूष | Pratap Piyush
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
72 MB
कुल पष्ठ :
233
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इ
क,
तथा साधास्ण कोटि के लिक्खाड थे तो यह प्रश्न हो सकता:
है कि कांग्रेस के जन्मदाता छाम साहब, बंगाल के प्रसिद्ध देश-
सेवी विद्वान् इश्वस्वंद्र जी विद्यासागर, श्रीमान् मालवीय जी,.
. भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि द्ग्गिज पुरुष उनके प्रति इतना अगाढ़
सला करना अनुचित है। यदि वास्तव में वे फकड़मिजाजी
ग्रेम तथा श्रद्धा क्यों रखते थे ? इश्वरचंद्र जी विद्यासागर एक
बार प्रतापनारायण जी सिश्र के घर पर मिलने आये थे। कहते...
हैं कि उन दोनों में काफ़ी देर तक बँगला में बड़े प्रेम से वार्ता
कही जाती
है कि विद्यासागर जी को बड़ी आवभगत से लेने के बाद सिश्र `
जीने उनके जल-पानके लिए दो पसे के पेड़े मँगाये थे | इस
फ
लाप ह्या था। सब से रोचक बात इस प्रसंग मे
बात पर जितना ही सोचते हैं उतनी ही हँसी आती है।
कहते हे इलाहाबाद काँग्रेस में भी एक इसी प्रकार की _
घटना हुई थी। उस साल अतापनारायण जी कानपुर शहर
के प्रतिनिधि बन कर गये थे। एक दिन वे जब अपने तंबू के.
. बाहर खड़े थे हयम साहब उधर से निकले । देखते ही
. मिश्र जी ने उन्हें नमरकार किया। हाम साहब ने उन्हें सप्रेम
` छाती से लगा लिया ओर कुशल-समाचार पूछा
07885 बतलाइए कि ह्यम साहब ऐसे बड़े आदमी जिससे ऐसे
प्रेम से सिलें तथा विद्यासागर जैसे विद्धान् जिससे मिलने उसके `
রর घर् पर् अव् अर उसके হা पेड़ों! का जल-पान प्रेमपू्वक `
स्वीकार करः वह् क्या कोरा मसखरा हो सकता है ?
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