जीवन और साहित्य | Jivan Our Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२
“ठेठ हिन्दी का ठाठ” आदि उपन्यासों में उपन्यास कौशल न होते हुए भी
भाषा का वेचित्र्य और लज्जाराम मेहता के उपन्यासो मे हिन्दू धमं जौर समाज
का चित्रण है ।
हिन्दी-उपन्यासों की सर्वेतोम्खी प्रगति सं० १९७५ के पदचात् हुई हे ।
राधिकारमण प्रसाद सिह, प्रेमचंद, विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक, जयशंकर
प्रसाद, प्रतापनारायण श्रीवास्तव, सुदर्शन, जेनेन्द्रकूमार, बेचन शर्मा उग्र,
यशपाल, निराला आदि ने देश की सामाजिक और राष्ट्रीय स्थिति का निरू-
पण किया । किसान और जमींदार, शिक्षित और अशिक्षित, ग्रामीण और
नगर निवासी, मंजदूर और मिल मालिक, विद्यार्थी और अध्यापक आदि का
चरित्र-चित्रण हुआ । ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना अधिक नहीं हुई । इस
क्षेत्र में वुन्दावनलाल वर्मा का स्थान अन्यतम ह । उनके प्रसिद्ध उपन्यास
ज्लांसी की रानी ओर 'मृगनयनी' का हिन्दी साहित्य में बड़ा मान है। भगवती-
चरण वर्मा ने अपने चित्ररेखा उपन्यास में दाशेनिक चिन्तन की सामग्री
प्रस्तुत की । जैनेद्धकमार, इलाचंद्र जोशी और अज्ञेय ने मनोविश्लेषण-
प्रधान उपन्यास लिखे।
विगत पेंतीस-चालीस वर्षो में उपन्यास-कला का सम्यक् विकास हुआ ।
रेखक ने व्यथं घटनाचक्र या वस्तु-विस्तार का त्याग करके अपेक्षित कथा-
वस्तु की योजना की । समाज की विभिन्न दशाओं ओर संस्कारों कौ छानबीन
क्री गयी । जीवन के विविध रूपों का विवेचन किया गया । रम्बी-चौडी भूमि-
कओं काः वहिष्कार किया गया । उपन्यास को अनावश्यक कवित्त्व से मुक्त
करने की चेष्टा की गई । च्भते कथोपकथन वणेन या विदकेषण कं द्वारा भावों
ओौर विचारों को मार्मिक अभिव्यंजना की गयी । बाह्यवणं की अपेक्षा पात्रों
की अन्तःप्रकृति का व्यापक विदरेषण प्रस्तुत किया गया ।
এ
आलोचना
हिन्दी-साहित्य ` मे आरोचना का वास्तविक आरम्भ बालकृष्ण भदू
ओर बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन' ने किया । उन्नीसवीं रती ईसवी के
अन्तिम १५. वर्षो मं आलोचना विषयक अनेक रचनाएं प्रकाशित हुई ।
अंगाप्रसाद अग्निहोत्री को समालोचना नामकं पुस्तक, जगन्नाथदास “रत्नाकर
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