भारत का संविधान शासन और हम | Bharat Ka Savindhan Shasan Aur Hum

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Bharat Ka Savindhan Shasan Aur Hum by सुभाष काश्यप - Subhash Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपलब्ध कराई गई। इन संकलनों में लगभग 50 देशों के संविधानों से मुख्य अंश उद्धृत किए गए थे। संविधान सभा ने संविधान सभा में किए गए निर्णयों पर अमल करते हुए संवैधानिक सलाहकार द्वारा तैयार किए गए भारत के संविधान के मूल पाठ के प्रारूप की छानबीन करने के लिए 29 अगस्त 1947 को डा. भीमराव अंबेडकर के सभापतित्व में प्रारूपण समिति नियुक्त की। ` प्रारूपणं समिति दारा तैयार किया गया भारत के संविधान का प्रारूप 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष को पेश किया गया। संविधान के प्रारूप में संशोधन के लिए बहुत बड़ी संख्या में टिप्पणियां, आलोचनाएं और सुझाव प्राप्त हुए। प्रारूपण समिति ने इन सभी पर विचार किया। इन सभी पर प्रारूपण समिति की सिफारिशों के साथ विचार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया। विशेष समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर प्रारूपण समिति ने एक बार फिर विचार किया और कतिपय संशोधन समावेश के लिए छांट लिए गए। इस प्रकार के संशोधनों के निरीक्षण की सुविधा के लिए प्रारूपण समिति ने संविधान के प्रारूप को दोबारा छपवाकर जारी करने का निर्णय किया। यह 26 अक्तूबर, 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष को पेश किया गया। 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा में संविधान के प्रारूप को विचार के लिए पेश करते समय डा. अंबेडकर ने प्रारूप की कुछ आम आलोचनाओं का, विशेष रूप से इस आलोचना का कि इसमें ऐसी सामग्री बहुत ही कम है जो मूल होने का दावा कर सकती हो, उत्तर दिया। उन्होंने कहा : मैं पूछना चाहूंगा कि क्‍या विश्व के इतिहास में इस समय बनने वाले किसी संविधान में कोई नयी बात कही जा सकती है। सैकड़ों साल बीत गए जब प्रथम लिखित संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था। अनेक देशों ने इसका अनुसरण करके अपने संविधान को लिखित रूप में परिवर्तित कर लिया। संविधान का विषय-क्षेत्र क्या होना चाहिए, इस प्रश्त का समाधान बहुत पहले हो चुका है। इसी प्रकार, संविधान के मूलाधार क्या हैं, इससे सारी दुनिया परिचित है। इन तथ्यों को देखते हुए, अनिवार्य है कि सभी संविधानों के मुख्य प्रावधान एक से दिखाई दें। [6] भारत का संविधान : शासन और हम




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