सफलता के सिद्धान्त | Safalata Ke Sidhant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
54
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सफलताके सिद्धान्द - ११
२ जो भारी काम करने का सादस रखता है और परिभम
ही षचदाता) { ,
३ जो उत्सादी मनुष्य अपने कार्य साथन फे कयि षट
( पराक्रम छगाने में कसर गदहीं छोडता
9 झो फमेचारी अपने कार्य में पूणिता, निरालस्पवा, शी-
॥ दयाद्ुता, और उद्दारता दिखाने फे अवसर देखता है।
{५ जो कादिनता और सरलता दोन वु द यट शुद्धि
নং গান
1६ निराशता का विचार जिसे स्यप्त में मी नहीं, लपना
বহুত জানি জলা है, जो अपने काम, ध्यान शीर ओपन
वफलता की पूणे आशा किए हुए हैं ।
१७ री पुरार या बथा जो छिसो के यलर गरोसे काम सर्दी
+ ता और फैयल अपने भापे पर पिश्यास फरता है वद सवे
तर में सचय जीतता ই)
दुकान क्यों न चली !
३ दुकान दार पद फिक में रएता था।
४ उप्त मे दुफकानदारी दो किया छुथी।
8 यद् समझ की याव फरया न शानवापा |
৬ প্রহার বট ঘন কহ মি আনম!
५ पंद्धिले सामना दांधकर दुरूान शुरू नहूँ হি ।
६ षद आगतां सै यत धा पर झपना गुण प्रसादा भटी
८ सकता था।
७ पझ्राएक को काएू में কার হয ভন বনী আমা লা ।,
< प्रादए डी कइर वात को दह ह्सचर मं दाल सक-
श्वा!
५ जुकानदारों में उश्नशा पूर ग्न महधा!
१० वषम {किलो दरी सटा यागदापा भरम भदन शर
ए भरोसा करताया।
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