सफलता के सिद्धान्त | Safalata Ke Sidhant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सफलताके सिद्धान्द - ११ २ जो भारी काम करने का सादस रखता है और परिभम ही षचदाता) { , ३ जो उत्सादी मनुष्य अपने कार्य साथन फे कयि षट ( पराक्रम छगाने में कसर गदहीं छोडता 9 झो फमेचारी अपने कार्य में पूणिता, निरालस्पवा, शी- ॥ दयाद्ुता, और उद्दारता दिखाने फे अवसर देखता है। {५ जो कादिनता और सरलता दोन वु द यट शुद्धि নং গান 1६ निराशता का विचार जिसे स्यप्त में मी नहीं, लपना বহুত জানি জলা है, जो अपने काम, ध्यान शीर ओपन वफलता की पूणे आशा किए हुए हैं । १७ री पुरार या बथा जो छिसो के यलर गरोसे काम सर्दी + ता और फैयल अपने भापे पर पिश्यास फरता है वद सवे तर में सचय जीतता ই) दुकान क्‍यों न चली ! ३ दुकान दार पद फिक में रएता था। ४ उप्त मे दुफकानदारी दो किया छुथी। 8 यद् समझ की याव फरया न शानवापा | ৬ প্রহার বট ঘন কহ মি আনম! ५ पंद्धिले सामना दांधकर दुरूान शुरू नहूँ হি । ६ षद आगतां सै यत धा पर झपना गुण प्रसादा भटी ८ सकता था। ७ पझ्राएक को काएू में কার হয ভন বনী আমা লা ।, < प्रादए डी कइर वात को दह ह्सचर मं दाल सक- श्वा! ५ जुकानदारों में उश्नशा पूर ग्न महधा! १० वषम {किलो दरी सटा यागदापा भरम भदन शर ए भरोसा करताया।




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