शिवपुराण भाषा | Shiv Puran Bhasha

Shiv Puran Bhasha by पं प्यारेलाल रुग्गू - Pt. Pyarelal Ruggu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भेमिका। ई पक्ष का चतुदशा कात्तेक को नवसी अरहन तीज फारगवनवसी पाष नवमी शुक्ृपक्ष की माघ चतुर्थी चेत्र चतदशी वेशाख तीज ज्येष्ठ दशहरा पश्चमी सुदी असाढ तीज श्रावण शुक्का पश्नमी एर स॒यंत्रहश सबसे उत्तमोत्तम हैं कदाचित्‌ महल के दिन चौथ पड़े या इतवार को सप्तमी हो अथवा सोमवार के दिन असावस हो तो सृयंग्रहण से सो हिस्से अधिक फल सिलता है इसके सेवाय जिस दिन गरु कृपा करके मन्त्र दें.वह दिस सबसे उत्तम है। .... तीसरे साला झासन जप सन्त्र का संस्कार । 5 पर मकट हा के साला तन श्रकार का है एक कर साला दूसरी शा शी मनमाला तीसरी सणिमाला । करसाला पहें है जेसा कि माला तन्त्र में श्लोक लिखा है। . सालातन्त्रे लोक । अनामिकाइयं पे कनिछठादिक्रसेश ते । तजनीसलपयेन्त करमसाला प्रकीर्तिता १ अगल्यग्रे च यजत यजतं सेरुलड्लनाव । पवचसान्घष यजप्त तत्सवं ।निष्फल सवतू २ संस्थाप्य हृदय हस्त तियंकत्वा कशंरालीः । आाच्छोाय हस्त वखेण दक्षियेन सदा जपेतू ॥ है. ॥ व्पर्थात्‌ बीच में दो पोर छोड़कर बाकी सब पोरों में जाप करे च्ञोर कपड़े से हाथ बन्द करके हाथ को छाती में रखकर तिरदे हाथ से जाप करना चाहिये और पोरों की लरकीरों से जप करने से वह जप व्यर्थ हो जाता है और सब सालाओं से रुद्राक्ष की साला श्रेष्ठतर है सारसाहताया यथा । द्राक्षणइपद्माक्षपत्रजीवकमौक्तिके । स्फाटिकेसंशिरलैश्च स्वेश्च विद्रसेस्तथा १ राजितेः कशमलश्च उहस्थस्याहमा-




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