शिवानन्द दिग्विजय | Shivanand Digvijay

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Book Image : शिवानन्द दिग्विजय  - Shivanand Digvijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सभी गुरुभाइयों ने भी यात्रा में निरन्तर आनन्दपूवेक अपने तन, मन और प्राण समर्पित किए तथा अपने गुरुदेव के चरणों की छाया की महिसा का अनुसरण किया*“*'तथा च कोटिशः जनता के प्रति हम अपने हृदय की इतशता को प्रकाशित करते हैं, जिन्होंने दिग्विजयी के वचनों को सुना और दिव्य जीवन के सन्देश को अपने हृदय-मन्दिर में प्रतिष्ठित किया। अजञन की तरह उन्होंने कर्मम्ृूमि भारत में कृष्ण भगवान्‌ की गीता सुनी । आदिमानव के समान उन्होंने आदिमूमि भारत में हिर्ए्यगर्भसम्मूत वेदबाणी को सुना। « दे शष्देव, दम तो आपके ह दी । किस प्रकार प्रणाम कर --दिव्य जीवन मण्डल के सेवकगण (१६ )




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