शिवानन्द दिग्विजय | Shivanand Digvijay
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
383
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सभी गुरुभाइयों ने भी यात्रा में निरन्तर आनन्दपूवेक अपने
तन, मन और प्राण समर्पित किए तथा अपने गुरुदेव के
चरणों की छाया की महिसा का अनुसरण किया*“*'तथा च
कोटिशः जनता के प्रति हम अपने हृदय की इतशता को प्रकाशित
करते हैं, जिन्होंने दिग्विजयी के वचनों को सुना और दिव्य जीवन
के सन्देश को अपने हृदय-मन्दिर में प्रतिष्ठित किया। अजञन
की तरह उन्होंने कर्मम्ृूमि भारत में कृष्ण भगवान् की गीता सुनी ।
आदिमानव के समान उन्होंने आदिमूमि भारत में हिर्ए्यगर्भसम्मूत
वेदबाणी को सुना। «
दे शष्देव, दम तो आपके ह दी । किस प्रकार प्रणाम कर
--दिव्य जीवन मण्डल के सेवकगण
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