मदर इंडिया का जवाब | Mother India Ka Javab
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
175
श्रेणी :
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No Information available about चन्द्रावती लखनपाल - Chandravati Lakhanpal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)” प्रथम भाग হু
“इस प्रकार दम रोप्य १५० से २०० मेमने मारते हैं, और
श्रद्धालु लोग चन्द जुटाति दः!
লিভ मेये सीधा বলদ दाउ से उत्तरकर काली
के मंदिर की प्रदक्तिणः करने णई। दो ही चीजें कलकत्ते में
देखने लायक्र थी । एक वोलशेविक लोगो के जगह-जगह पर
बिखरे हुए ट्रेक्ट जो, शायद बंगाल के गवनेर की उदारता से
गलो-गली उड़ रहे थे और दूसरी चोज़ काली का संदिर,
जिसे भ्रत्येक समझदार हिंदू दिंदू-घर्म সব দক আলম হা
है और जिसकी घुराइयों को दूर करने में हिंदूसमांज लगा
हुआ है। श्रीमत्ती मारमरेट कद्धन ने इस स्थल की आलो-
चना करते हुए ठीक लिखा है कि काली का बीभत्स वर्णन
करते हुए मिस मेयो ने यह लिखना छोड़ दिया है कि ब्रि-
डिश भारत में तो यह कुर्बानी, परंतु द्रावनकोर की मद्दा-
रानी ने, जो फि एक देसी रिया्तत में राज्य करती है, राज्य
फी वागडोर द्याथ में लेते ही पहला कास यद्दू किया कि सब्र
सरह की कुबोनियों बंद कर दीं। मिस মহা को पता হীলা
चाहिए या किद्मारी बहुत-सी इरोतिर्यो दमारी माइ-बाप!
बनी हुई सरकार की मेइस्वानी से भी हैं । अज्न दिन एक
पियोसीाफिस्ट अगरेज़ में मिस सेयो से कहा भी, तुम काली
,का मंदिर देखने नाइक गई, वद भारतव्धे नहीं है। परंतु डन
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