उपेक्षिता | Upekshita
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० उपेक्षिता
तमि वाले के इतना कहने पर भी बिमला ने पसे देने चाहे, लेकिन उसः
न लिये और पूछा-- अगर आप अभी लौटना चाहें तो मै खडा रहं
क्योकि आपको इतनी रात को इस मौहल्छे मे दूसरा तागा मुरिकिल से
मिलेगा ।
“अब तुम जाओ । हम आज रात यहीं रुकेंगे ।”
तांगा वाले ने अपना तांगा घुमाया और लोट पड़ा ।
वियला ने फाटक. पर खड़े होकर एक बार शानदार बंगले पर दृष्टि
' डाली और आगे बढ़ीं | इसके पूर्व कि वह आगे बढ़कर बंगले में प्रवेश
कर सकें फाटक से थोड़ी दूर पर ,ही द्वार रक्षक ने प्रश्न किया-
“कौन है !
विभला चौंकी और घूमकर देखा तो एक नौकर दिखाई दिया । उसके
प्रइन का उत्तर देने की अपेक्षा उन्होंने उससे प्रइन कर 'दिया--““कान्त
बेटा है अन्दर ? `
“कौन डाक्टर साहब ?
“ছা ह, डाक्टर कान्त ।*° बिमला की घबड़ाहट बढ़ती जा रही थी ।
“अभी तो अस्पताल से नहीं लौटे हैं, लेकिन आते ही होंगे आप
उस कमरे में चलकर बैठिये तब तक । जब वह आयेंगे तो मैं आपको
बता दूगा। |
बिसला ने उसकी बात सुनी-अनसुनी कर दी और प्'छछा--.-“डाक्टर
साहब की पत्नी कहाँ हैं ? '
“নানী লী।+
“पहं ।
“अन्दर बठके में होंगी |!”
“मुझे उनके पास ले चलो 1
“इस वक्त वह अपने दोस्तों के साथ बातचीत कर रही हैं ।”
“तो क्या हुआ ?
४६ न
इस वक्त मैं तो क्या कोई भी नौकर उनके पास नहीं जा सकता |”
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