घट रामायन (भाग १) | Ghat Ramayan, Part - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
438
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
तुलसी साहिब 'साहिब पंथ' के प्रवर्तक थे। कहा जाता है कि ये मराठा सरदार रघुनाथ राव के ज्येष्ठ पुत्र और बाजीराव द्वितीय के बड़े भाई थे। इनका घर का नाम 'श्याम राव' था। किन्तु इतिहास इस अनुश्रुति का समर्थन नहीं करता। इतिहास ग्रंथों के अनुसार रघुनाथराव के ज्येष्ठ पुत्र का नाम अमृतराव था। 'घटरामायन', 'शब्दावली', 'रत्नासागर' और 'पद्यसागर' (अपूर्ण) इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।
ऐसा प्रसिद्ध है कि 12 वर्ष की अवस्था में ही तुलसी साहिब घर से विरक्त होकर निकल पड़े थे और हाथरस, उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगे थे। क्षिति बाबू के अनुसार पहले ये ' आवापंथ' में दीक्षित हुए थे और बाद को संतमत में आये; किंतु ऐसा मानने
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रर रामयन
উল भंजन अनूप, रहिनो अंदर अरूप ।
चंदा रवि रेनि दिवसः तारे नभ नाहीं ॥ २ ॥
बरनन लखि अलख ऐन, स्थाम सिखर निकर कंद ।
निरता खति समभि सूरः पंकज अपना ॥ ३१
अंडा अंबुज अतूल, बेलि बृच्छ अधर मूल ।
फूला फल बन निवास, ललित लता छाडे ॥ ४ १
লব মজা लसि सुगंध, उरभ्े रस बस बिलास ।
आनंद सीतल समीरः, सरवर तट লাই 1४ ४
जह जहेँ दूग देखि जात, खगपतिरककति नभ उडत ।
बन बन मृग चरत जात, कोकिल करकाडे॥ £ ॥
घरि के घस घरन डोर, दूढ़के चढ़ि कड़क केक ।
घधकत घसि घधक नीर, कूटा पुल जाईं॥ ७ 0
भाखा भोतर बयान, सज्जन सुनि समक्ति साथ ।
अदबुद्र अज अजर बात, संतन लखवाई ॥ 2 ॥
॥ सेरठा ॥
भान भवन चर बास, लखि अकास अंदर তাত ।
लीला गिरि चित चास, दीपक मंदिर मरण जस ५
॥ दाहा ॥
लखि प्रकास पद तेज, सेज गवन गढ़ गगन में ।
पति प्रिय प्रेम बिलास, तुलसिदास दूस गिरा मं
এ ॥ सारठा ॥
दै मति रेन अयान, गुरू बयान ना के क्यौ
लह्यौ गगन साह जान, सतगुरु मंजन पदम हीं 0
॥सेरटा॥ _. थे
सतगुरु अगम अपार, सार समा तुलसी किये ।
दया दीन निरधार, मेहिं निकार बाहिर लिये॥
রক আপা ভার হারা
को চলা পিন খে चैक বাজান পলক
(१) बायु । (२) गरुड़ । (२) अद्भुत |
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