वैदिक जल - विद्या | Vaidik Jal - Vidya
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.6 MB
कुल पष्ठ :
28
श्रेणी :
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No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंदी सनम सकने, जेयतक उनका संबंध मेत्रोये साथ ज्ञात नहीं
होता 1 इससे बेदके ग्वाध्यायका डितना महत्व है इस बातका
परिजन हो सफता है |
अलु | अब जलबाचक अन्य नामोंका घिंचार करे | ( ६)
उदकरें सी नामेंगिं * अमृत दाप्दका पाठ किया है | देव
शिम भमृत्का पान करत एि बह अमृत कृद्ध जेल ही ह। जो
अन्य पय दं, जा दाराब, मेंग, चहा. वाएी आदि नामसे
पापिद्ध ४ सबके सब तक ६ । शाद्ध जठके संवनसे थरररिक।
आसाप्य प्राप्त दाता है | ( २) जलका दूसरा नाम सुख
हु] इससे सूचित होता है कि थाद्ध और पावत्र जदकें अयोगंस
झारीरक सब ( ख ) इंद्रिय ( सु ) उनमे अवाधामें रहते हैं ओर
मनुप्यक सच्चा आरोंग्य प्राप्त होता है | ( ३) उदकका तीसरा
नाम 'अ-श्र' तह ( नम्षरात न श्ारयात दे अश्नर ) पर
का भथ पं, क्षभन्ता ॥त९ अत नायक प्राप्त हाना है | क्षय
नपेदिक आदि राग जिनमें झरीस्कों श्रीणता होती रहती ६,
उनका बोप 'क्षेर' याप्दस होता है | जिसके संवनसे क्षय
आदि बिनालक सगे दूर होते हैं उसका नाम 'अ - क्र होता
| क्षय भर अनक्षण ये धाच्द क्षर और नं -क्षर के
समान, हैं । जेलम्रयोगस किन किन व्याधियांका शमन ह।
सकता हू इस वतका ज्ञान इन दाध्दीक विचारसं हा
हो सकता है । पाठवंमिं जो बद्य और ढैबटर होंगे उनको
उचित ६ कि वे इन युणोंका भार नामोंक़ा विचार करें आर
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