अनामिका | Anamika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
207
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कि
ग्रेयसी
प्रथम विहग-बालिकाओं का मुखर स्वर-
ग्रणय-मिलन-गान,
प्रथम विकच कलि वृन्त पर नगन-तमु
प्राथमिक पवन के स्पर्श से कॉँपती;
करती विहार
उपवन में में, छित्र-हार
स॒क्ता-सी निःसङ्ग,
वहु रूप-रङ्ग वे देती, साचती;
मिले तम एकाएक;
देख ঈ सक गहं :--
चल पद् हुए अचल,
आप ही अपल दृष्टि,
- फेला समष्टि में चिच स्तव्य मन हुमा |.
-दिये नहीं प्रार् जे इच्छा से दूसरे के,
इच्छा से प्राण वे दूसरे के हो गये.
दूर थी,
खिंचकर समीप ज्यों मैं हुई
अपनी ही दृष्टि में; .
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