भारतेन्दु हरिश्चंद : एक अध्ययन | Bhartendu Harishchand EK Adhyyan

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Bhartendu Harishchand EK Adhyyan by रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनी ७ राजा महेश्वरसि् भौ इनके भित्र थे। इसी तरह गदहा परगना (जबलपुर) क तालुक्रेदार राजा श्रमानोरसिंह गोरिया जिन्होंने 'मद्नमञ्जरी नाटक की रचना की । श्यामा-स्वप्न' के लेखक ओर मेघदूत के अनुवाद-कता हिन्दी के प्रसिद्ध कवि ठा० जग- मोहन सिंह । मिर्जापुर के पं० बद्रीनारायण उपाध्याय चौधरी (प्रमवन) तो बेपभूषा में भी हरिश्चन्द्‌ का अनुकरण करते थे। ये इनके अतंरंग मित्र थे। प° बालकृष्ण भटर जिन्न उनके उत्साह के प्रेरित हो हिन्दी प्रदीप निकाला (१८७७) और ३२ वष तक उमे धनाभावमे मो निकालते रहे। पं० प्रतापनाशयण मिश्र जिनका “ब्राह्मण” अपने समय का अपूब पत्र था। लाला श्रनिवासदास (दिल्ली)। लाला ताताराम (अलीगढ़) । राधा- चरण गोस्व)मी | प० मोहनलाल वष्ुत्तल पंड्या। हिन्दी भाषा के विद्वान तथा रामायणी पं० बेचनाराम । पं० दामोदर शास्त्री । डा० राजन्द्र लाल দিস | पं० रामशंक्र व्यास। कोन्स कालज के अध्यापक पं० रामेश्बरदत्त सरयूगारीण | प्राचीन लिपि- विद्‌ पं० शीतलाप्रसाद त्रिपाठी। हिंदी भाषा के प्रेमी फ्रेडरिक पिन्कारेंट ( १८३६-१८६८ ) । इश्वर चंद्र विद्यासागर ( १८२० १८६१) जिन्न शकुन्तला का इनक यहां ठहर कर संपादित किया ओर इन्हें ही भेट किया। बाबा सुमेरसिंह (आजमगढ़ निवासी) जो हिन्दी क अच्छे लखक ओर कवि एवं निख गुर थे (मत्यु १६०२) । कऋलिराज को सभाः के लेखक वकी ज्ञ मु० ज्वाला- प्रसाद, बा० बालश्वरप्रसाद (पंं० काशी पत्रिका), र॒त्नाकर के पिता बा० पुरुपोत्तमदास, बा० केशाराम, बा> माधोदास । ग फुफेरे भाई ओर अभिन्न मित्र राधाकृष्णदास (१८६४ ३०) ७मित्रों की इस सूची को दखकर यह स्पष्ट हो जायगा कि भारतन्दु काल के सभी बड़े हिन्दी लेखकों, कवियों आर सम्पादकों को भारतेन्दु से प्रेरणा मिली थी ओर कितनों को हिन्दी की ओर उनके ग्रंथों




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