भारतीय राजनीती के अस्सी वर्ष | Bharatiya Rajniti Ke Assi Varsh
श्रेणी : राजनीति / Politics
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
235
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आई० ईं०, को उदारतापूर्णा सहायता के फल-स्वरूप में ने वहीं के महा-
राजा कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की थी। विज्ञागापट्म में ही सन् १८६८
में में ने पत्रकार के रूप में अपने सावजनिक जीवन का श्रीगणेश किया
था । छुत्तीस वर्ष से ब्म उस जिले का निवासी तो नहीं रषा, परंतु
मित्रों तथा संबंधियों के द्वारा मेरा उस से संपक॑ तो बना ही रहा है ।
मेरे कई कुटंथी श्रय भी वहों रहते हैं । ऐसे स्थान का मेरे लिए प्रिय होना
स्वाभाविक ही है, ओर वहां से निमंत्रण मिलना मेरे लिए आनंद का ही.
विषय हो सकता था ।
जिन हज़ारों श्रोताओं ने मेरे इन व्याख्यानों को सुना, उन की बाबत
यह स्थीकार करना मेरा कर्ंव्य है कि उन्हों ने बढ़े धर्यपूषक तथा बढ़ी
शिष्टतापूवक उन्हें सुना | असल में तीन व्याख्यान देने का विचार रहते
हुए भी, उन की खंबाह के कारण मुझे चार दिन व्याख्यान देना पढ़ा ।
कुल मिला कर मुझे सात घंटे से भ्रधिक बोलना पड़ा, परंतु श्रोताओं का
भाव बढ़ा सोजन्यपूर्ण रहा । अपने एक ऐसे भाई के प्रति, जो देश के एक
अन्य भाग में रहता हुआ भी उन्हीं का है, उन्हों ने जो कृपा दिखाई उस
के लिए में उन का कृतज्ञ हूं ।
भाषणों के पुरुतकाकार प्रकाशित होने में जो इतना विलंब हुआ,
उस का दोषी में ही हूं । हस के जिए में श्रांप्र विश्वविद्यालय के अधि-
कारियों से क्षमा-याचना करता हूँ। कार्याविक्य, भस्वस्थता तथा बढ़ते
हुए थुढ़ापे के कारण मुझे इन ब्याख्यानों को पुस्तक का रूप प्रदान करते
में इतना विलंब हुआ, इस का मुझे खेद हे ।
पुस्तक का प्रायः वही रूप है जिस रूप में कि में ने ब्याख्यान दिए
थे । कहों-कहीं कुछ शब्दों का हेर-फेर कर दिया गया है या कुड्ध वाक्य
बढ़ा विए गए हैं । |
इस पुस्तक में में ने यह दिखाने की कोशिश की है कि पिछले ७
वथो में (१८९८-१६६९) भारत में साथंजनिक जीवन झभोर राजनीतिक-
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