हिंदी कविता का विकास पहला भाग | Hindi Kavita Ka Vikas Part 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दी-साहित्य की रूपरेखा | ३
कन्याओं के लिये हाती थीं, इसलिय चारणों की रचनाओं में
शड्भार रस का भी काफ़ी सिश्रण रहता था । यहाँतक कि किसी-
किसी ग्रन्थ में वीर रस की अपक्ता शद्भार रस ही अधिक मित्रता
है इस काल म निम्नलिखित मुख्य-मुख्य ग्रन्थों की रचना हुदै । -
१-- खुमान रासो
र२--बीसलदेव रासो
२-प्रथ्वीराज रासो
४--्राल्हा
--परमाल रासा
६-- विजयपाल रासो
इन सब में पृथ्वीराज रासों ही विशेष रूप से उल्लेखनीय
हैं। इसमें लगभग २६०० पृष्ठ हैं और ६६ सग हैं । पृथ्वीराज
के दरबारी कवि श्रौ मित्र चन्दबरदायी ने इसको प्रारम्भ क्रिया
था और उसके पुत्र जल्हण ने इसको समाप्त किया । इस पुस्तक
मे प्रध्वीराज के जीवन की समस्त घटनाओं का अनेक इन्दों में
विस्तारपूर्वक वणन है । बहुत-से श्राघुनिक विद्वान् इसकी प्राचीनता
पर सन्देह करते हँ । उनके श्रनुसार यह सोलद्वी-शताग्दी का
लिखा हुआ एक जाली अन्थ है । मिश्रवन्धु तो चन्द् को हिन्दी
का प्रथम कवि मानते हैं | हमारी समर में 'रासो? को जाली
ग्रन्थ प्रमाणित करने में विद्वानों ने जो तक उपस्थित किये हैं, वे
अकाट्य नहीं हैं । 'रासो? निश्चय ही पृथ्वीराज के समकालीन
किसी चन्द् कवि का लिखा हुआ है । हाँ, बाद में उसकी नक़ल
करनेवाले और उसके सम्पादक लोग अपनी तरफ़ से उसमें क्षपक
मिलाते चले गये होंगे, जेसा कि रामचरितमानस के सम्बन्ध में
हुआ दे । यही कारण है कि रासो को पढ़ते समय पृथ्वीराज के
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