समीचीन सर्वोदय काव्य | Samichin Sarvoday Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तो इस भ्रचालित राष्टीय सवोदय से विश्व कंटंयाणकारी-मार्ग का
यथार्थ परिज्ञान नहीं होता ॥?
इस समीचीन-सर्वोदय क्लाव्य- में अनेक, प्राच्य- महर्पियां-द्वारा
হানি शात्रों एवं अनेक 'दोशक-बंदोशिक प्रख्यात उद्धट- विद्वानों
फे मन्तव्यों का उल्लेख देते हुए विद्वान. सुकाषि बहांदिय ने इस
सुन्दर “ समीचीन-सर्वोदिय ” में फीट-पतज्ढ-पशु-पत्षी श्रौर
मनष्यादि सब जीवों -की रक्षा-पारस्पारिक निश्छल प्रेम, एवं सह-
योग की सद्भाववा रखने का - विधान बताते हुए जिस आदर्श
“अहिंसा? फा सिंहावलोफन फराया हैं वह अतीव प्रशंसनीय एवं
उपादेय ই, उसी प्रकार की आहता से विश्व, सुख-संतोष एवं शांति
का लाभ प्राप्त कर सकता है ।
वर्तमान प्रचलित राष्ट्रीय सर्वोदिय में जहाँ केवल मानव मात्र
का-सो भी केषल उसके शारीरिक सुख का लक्ष्य रक्खा गया है
वहाँ इस समीचीन सर्वोदिय में धमें-एवं राजनतिक फो प्र तप्त
तथा स्पष्टता लिये हुए नैतिक सयमी एवं धार्मिक जीवन का लक्ष्य
तथा आत्मीय सिाद्दि अथवा परमार्थ जावन का सर्वोच्च आदर्श
हमारे सामने रक््खा गया हैं । वास्तव में ऐसा ही सर्वोदिय जीव-मांत्र
फा कल्याणकारी होता हं ।
इस सर्मीदीन-सर्वोदिय काव्य के रचायेता समाज प्रसिद्ध काबि-
भूषण आगमानुयायी-धर्मनिौष्ठ मेरे सुयोग्य शिष्य विनोदरल,
व्यास्यान-मूपण श्री पं० छोटेलालजी क्या उस्जेव निवासी हैं,
इन्होंने हरिजन- पिवेक-वाटिका, तलाक- चालीसा, मान-सरोपर
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