समीचीन सर्वोदय काव्य | Samichin Sarvoday Kavya

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Samichin Sarvoday Kavya  by छोटेलाल जैन - Chotelal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तो इस भ्रचालित राष्टीय सवोदय से विश्व कंटंयाणकारी-मार्ग का यथार्थ परिज्ञान नहीं होता ॥? इस समीचीन-सर्वोदय क्लाव्य- में अनेक, प्राच्य- महर्पियां-द्वारा হানি शात्रों एवं अनेक 'दोशक-बंदोशिक प्रख्यात उद्धट- विद्वानों फे मन्तव्यों का उल्लेख देते हुए विद्वान. सुकाषि बहांदिय ने इस सुन्दर “ समीचीन-सर्वोदिय ” में फीट-पतज्ढ-पशु-पत्षी श्रौर मनष्यादि सब जीवों -की रक्षा-पारस्पारिक निश्छल प्रेम, एवं सह- योग की सद्भाववा रखने का - विधान बताते हुए जिस आदर्श “अहिंसा? फा सिंहावलोफन फराया हैं वह अतीव प्रशंसनीय एवं उपादेय ই, उसी प्रकार की आहता से विश्व, सुख-संतोष एवं शांति का लाभ प्राप्त कर सकता है । वर्तमान प्रचलित राष्ट्रीय सर्वोदिय में जहाँ केवल मानव मात्र का-सो भी केषल उसके शारीरिक सुख का लक्ष्य रक्खा गया है वहाँ इस समीचीन सर्वोदिय में धमें-एवं राजनतिक फो प्र तप्त तथा स्पष्टता लिये हुए नैतिक सयमी एवं धार्मिक जीवन का लक्ष्य तथा आत्मीय सिाद्दि अथवा परमार्थ जावन का सर्वोच्च आदर्श हमारे सामने रक्‍्खा गया हैं । वास्तव में ऐसा ही सर्वोदिय जीव-मांत्र फा कल्याणकारी होता हं । इस सर्मीदीन-सर्वोदिय काव्य के रचायेता समाज प्रसिद्ध काबि- भूषण आगमानुयायी-धर्मनिौष्ठ मेरे सुयोग्य शिष्य विनोदरल, व्यास्यान-मूपण श्री पं० छोटेलालजी क्या उस्जेव निवासी हैं, इन्होंने हरिजन- पिवेक-वाटिका, तलाक- चालीसा, मान-सरोपर




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