महाभारत मीमांसा | Mahabharat Mimansa

Mahabharat Mimansa by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मद्दाभारत अन्य का काल श्र मद्दाभारत के निर्माण काल का निश्वय करते समय श्न्त.प्रमाणों । सम्बन्ध में यद्द जानना चाहिए कि वेद, उपवेद, '्र्न, उपाज्ञ, गण, उपनिपद्‌, सूत्र, घमेशा्र, पुराण, इतिहास, काव्य, साटफ दि में से किन किन का उल्लेख महामारत में पाया जाता है । गीता के श्रष्याय १३ के बछोक ४ में 'घ्रह्मदय' पा नाम आया १। वादरायण-कृत वेदान्तसूघों का निमोण ईंसवी सन्‌ के पहले १५० से १०० तक के समय में हुआ दै। इनमें बौद्ध श्रीर जैन नहीं का, पाशुपत और पाश्चरात्र सतों वा भी खरइन दे । जय सौरय॑- पश का उच्छेद दो गया श्औौर पुप्यमित्र तया झग्निमित्र ने ईसवी सम के पदले १५० के लगभग मगधघ को अपने अघीन कर लिया तब यह अन्प चना दोगा। यदद श्याश्चर्य है कि इन अन्थों का उल्लेख मद्दा- भारतान्तगंत गीता के न्छोक में पाया जाय । इस श्रारचयं का कारण 'यदद है कि मददाभारस में बौद्ध और जैन मतों का खणडन नहीं दे । इसी प्रकार पाश्चरान शरीर पाशुपत तथा साख्य और योग मतों का खखणढन न द्दोकर उन सबका मेल मिलाया गया दे । ऐसी दशा में मद्दाभारत चेदान्तसूघों के पदले का द्योना चादिए । भगवदूगीता में ब्रझसूत शब्द का जो प्रयोग किया गया दे व वादरायण के वेदान्त सूज को दी कैसे लगाया जा सकता है है. इस सून को तो “घ्रह्मसूनर कहीं नदीं कद्दा है। श्याचाये ने उसे “वेदाम्त मीमासा शां्रः कद्दा दे । चेदान्त सूजकार ने साख्य और योग दोनों का खण्इन किया है। भगवदूगीता में यद्द बात नहीं दे । उसमें साख्य श्र योग का स्वीकार किया गया दे। जैसे भगवद्यीता में वैसे दी मद्दाभारत में भी साख्य और योग का खरणडन नहीं है । वेदान्त सूजों के समय ये देनों मत त्याज्य मासे गये थे | श्राश्चलायन के यहादून 'और चादरायण के वेदान्तदूत मे मददाभारत का उल्लेख दे । वेदान्त सूभ में मददभारत के वचन स्पति कदकर उद्धुत किये गये हूं । * श्तप्वव ये _देनों अन्य मद्दामारत के बाद के हैं । उक्त दोनों प्रन्थ-




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