पार्वती | Parvati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Parvati by रामानन्द तिवारी शास्त्री - Ramanand Tiwari Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामानन्द तिवारी शास्त्री - Ramanand Tiwari Shastri

Add Infomation AboutRamanand Tiwari Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मङ्लाचरण श्रीशिव के पद-पद्मों में रत रज-सा हो मन भेरा; हो पराग से पूत सुमन-सा पूजा-हिंत तन मेरा; चरण-प्रभा से दीप्त सब्छ दो चरम चेतना मेरी, परा पूर्णिमा से मरिडिव হী निकल अमा ऑपेरी। आत्मा के आलोक-पूर से भ्योतित उर-मन्दिरे हौ , करुणा के शद आई ह॒सों से सिंचित स्वच्छ अजिर हो , खुलें पटों-से बन्‍्च हवय के शुक्त ॒वत्व-दशेन को , हों स्वरुप-साकार देवता पुण्य प्राण -बन्दन को। सजग आरती के दीपक-सा स्नेह-पू्णं जीवन হী, भाव-असुर्नों की सुषमा से युत अर्चा-सा मन हो; श्न्तर आ स्वर कम्बु-कण्ठट का गुखित अभिवन्दन हो + चरण-कृपा से पूत दों का जल उ्श्वल अर्चन हो।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now