समन्वय श्रीमद्भागवत | Samanvay Sreemadbhagvat
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
971
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अथ
#श्रीमड्रागवतकी विषयसची ४६:
:, 1५. अथ प्रथमस्कन्धः।
॥
अध्याय. ˆ - ' विपय पृष्ठा
५१ मङ्गलाचरणनैमिेयोपाख्यान.पूतागमन ओर शोनकादिक ऋषियों का प्र. १
२ सूती काः उत्तर तहँ मगवदुणानुवणनसवन्धी उपोद्घात, न
३ पुरुष आदि अवतारों के चरितका वर्णन, अवतारकथा के प्रश्न का उत्तर, १३
/ ४ तपादिकत्तेव्याप्तनी का अप्तेतोष'तथा मागवतके आर्म का कारण. १९
५ / व्यापनीके चित्तका समाधान हेनि के निमित्त नारद्नीका सव घें ते मगव-
ভুদা का परष्ठत्ववणेन करना. ~ ~ „^~ २६
६. नारदी के पूषैनम्म का वृत्ता्त वैन, “^ „~ „^ २९
|' ७ भागवत कै आरम् मँ अश्वत्यामा का निग्रह् वणन. .... ३४
८ अश्वत्थामा के अन्धस परीक्षित् की रक्षा कुन्तीकृतस्तुति, युधिष्टिक्ृत शोक... ४१
९, मीप्मङन युधिष्ठिर को ध्ौपदेा, मगवत्सुतिभीष्मनी का मोक्ष ४८
१० कृतकाये मगवानूका जियो पे सतुति करयिनतिहुए हतिनापुरे द्वारकाकोगमन. ९५
' ११ -बन्धु सहित भगवान द्वारका परे, द्वारका वातय ने मगवान् की स्तुतिकी. ६० |
{| २.परीक्ित् राजाके जनमकावणैन . „~ „^ ^ १६
|| १३. परी्ित् के राज्यामिेक का महोत्सव, विदुरे वाक्य ते धृतरा का ममन. ७०
१४ महा उपद्रवो ते युधिष्ठिर को -घवड़ाना तथा अञ्न के पुल प, मगवःन्
॥ ], ममन बभैन्, - ˆ «+«« ভা, 2 সি
१९ कलियुग काअवेश देख युधिष्टिरादि ग को गये. - 4০৮ এ |
| १६ -परीकषित् राना का दिषिजय वणेन) पृथ्वीधर सम्बाद |
१७.२े प्रतापी राजा को वराह कि निस ने कलियुग के भी दण्ड दिवा. ९६ |
“॥ १ ८--आक्णके पुत्र का राजा परीक्षित् को शापदेना और उसका अनुग्रहरूप होना. १०६ |
१९.योगिये ते देशिते परीक्षित् के समीप शुकेदेवजी .का पथारन, (०८५
पु ८ ২ 5. & সবি সথনজ্ুল্ন ॥ , , |
তত 'अथ हितीयस्कन्धः । !
१-कीसेन, अवण आदि से भगवान के स्यूछ रूप में मत की धारणा का वर्शन. ६१९ |
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