विश्व कवि रवीन्द्रनाथ | Vishvkavi Ravindranath

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Vishvkavi Ravindranath by उमेश चन्द्र मिश्र - Umesh Chandra Misr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विश्वकवि रवीन्द्रनाथ तीन चित्र | ₹ ] जोड़ासाँको' के बरामदे में एक बड़ी-सी पालकी रक्खी रहं! यह्‌ किसी समय प्रिन्स द्वारकानाथ ठाकुर की पत्नी की सवारी के काम आती थी। उनकी मृत्यु के बाद से यह कुल के पूर्व गौरव के स्मृति-स्वरूप रख दी गई है। अब इसपर कोई सवारी नहीं करता, न यह अपने स्थान से हटाई ही जाती हं । पहले चट सम्पत्ति रहने पर भी आजकल इसकी गणना घर की शेष अचल सम्पत्ति के साथ होती हे। इसे ढोनेवाले कहार भी न जाने कब से अलूग हो गए हें और नये भी पुरानों के स्थान पर रक्खे नहीं गए। अतः: यह निविवाद वैज्ञानिक तथ्य है कि पालकी जहाँ की तहाँ रक्खी रहती है, दिन में भी, रात्रि में भी, बारहों महीने और छहों ऋतुओं में। महरू का कोई निवासी, कोई आगत-अभ्यामत জব आँखों-देखे सत्य को प्रमाणित कर सकता है। पर यह वास्तव में सत्य नहीं है। यह पालकी चलती है और बहुत दूर-दूर जाती है ॥




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