विश्व कवि रवीन्द्रनाथ | Vishvkavi Ravindranath
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
41 MB
कुल पष्ठ :
407
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्वकवि रवीन्द्रनाथ
तीन चित्र
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जोड़ासाँको' के बरामदे में एक बड़ी-सी पालकी रक्खी रहं! यह्
किसी समय प्रिन्स द्वारकानाथ ठाकुर की पत्नी की सवारी के काम
आती थी। उनकी मृत्यु के बाद से यह कुल के पूर्व गौरव के स्मृति-स्वरूप
रख दी गई है। अब इसपर कोई सवारी नहीं करता, न यह अपने स्थान
से हटाई ही जाती हं । पहले चट सम्पत्ति रहने पर भी आजकल इसकी
गणना घर की शेष अचल सम्पत्ति के साथ होती हे। इसे ढोनेवाले
कहार भी न जाने कब से अलूग हो गए हें और नये भी पुरानों के स्थान
पर रक्खे नहीं गए। अतः: यह निविवाद वैज्ञानिक तथ्य है कि पालकी जहाँ
की तहाँ रक्खी रहती है, दिन में भी, रात्रि में भी, बारहों महीने और
छहों ऋतुओं में। महरू का कोई निवासी, कोई आगत-अभ्यामत জব
आँखों-देखे सत्य को प्रमाणित कर सकता है। पर यह वास्तव में सत्य
नहीं है। यह पालकी चलती है और बहुत दूर-दूर जाती है ॥
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