आत्म परिचयन | Aatm Parichayan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হাহা १२
মনা করম পা “स्पादव्ययस प्रपाकों परिणमाते रहत है, श्रपन ही परिणामस अपने
लिय उत्पाद परते हैं सार प्रानेम श्रप निए आपे श्राप अपनी पू्पर्यायवा व्यय परत
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খতন দশম দন গা प्रपों लिए अपनेग घना सत्व यनाए रहने हैं, यही पतउत्रा स्थ-
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हं श्रागनद | हम सं भी एय ণলাধ। 8) সদন গা বাল ঠ | প্ন পবাধানা গন
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মানবী শামজী । ন ঘ শা লী শাহী নী মলা रतना परेगा। 7 प्रात्मन् | तू परदित्र
है पानी प्रभुगाकों रख । इस ही प्रभुव प्र दुवबी भक्तिमे तू पाप बाटगा तो सुख परायगा, यही
मग्त है यहा उत्तम है ये घाण है यही रखर है यही মহান वया है । यह है अपने
आप ह्रौर खय ही भायान/टमय प्रपों भापत्रों गंसारों' सबस्लेशोंसे मुक्त बरतेवा उपाय ।
रीबब। शरीरस घनिष्ट साबध £ और परीरमे जर जब रोग होते है नव तथे दस
जीवकों दू खी नी होता पश्ता है । पर इस रोगया मूत बारण क्या है प्रौर इस হাব মির
ঘা হুর उपाय यया है ? इस बातये मोही हीवरों हृष्टि नही जाती । यह शरीर मित्रा है तो
অনি অণ মলি नान्मा उदय टपा, शरीर নাম লব प्रादि सामगमका उदय हुथा, उस
उमे अनुसार गीवको मरौर मिता प्रता भौर वटे यामबम कस मिलता है ? जैगे-जस
जीवप परिशाम हात है वस उसे सरवि बंधन होते है. शरीरमे रोग हात है “्याधियाँ शती
हैं मृपु होती है, शरोर मच्या गाता हू, सादा शरोर मित्रता &। इस सपा शरगा थ्रा मा
ना परिणाम है । ভা হার विपदायादा गत सारण गया है ?ै इसके शतरम वारण खोजा ता
मोद आरागपरिणाम उनका प्रारण मिलेगा जा जो वृद्ध एस प्रात्मापर गुजरता है, धनी
होना, निधन होता, यण, झरपप्ण रोग, विरोगता, जा-जा गुउर्ते 8 इन सबका यारण भ्रात्मा
या प्रि्याम है । जया परिणाम विया रेता कमबघाय दध्ना । जया परमवयन तमी सामने
ल्पिति थ्रा गई । इस शरीरमसे विपाएँ विनि केम मिरे, दका वारणा सोनमिवहनी
ग्रामात परिणाम है श्रत् जो उपयाय नित श्रात्पाय संदग धुद्ध चतायनत्वकों परयानता
है, वह हो रमता हू, उसतों ही ग्रात्मा झगीयार यरता है । बह परिणाम तो सवयनेणा “या
पियति नत वर्ने लिय सब परिणाम हैं। सर बनेशोतों नष्ट परारा शुद्ध परिणाम हो
उपाय है। जो भ्रपने श्रापवे सथाथस्वरूपरा छाडवर भ ये वरिमी जगहम लगते ह, विपत्तिया
গালী हैं, सर्प होगे, বিল হায। বলয় ইন ।
বশন্ব দীই पदाथ गेरे नही है, শর स्थार यारे रै । एकता टूसरसे व्रियायम मकुझ
समप्व नहीं होता । चाहे जितता बसय हो, चाह जितना पुण्मवान हो, उह +
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