शीघ्रबोध - भाग 13, 14 | Shighrabodh Bhag 13,14
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
(६८) क्षेत्रवेदनाह्ाार-प्रत्यक नरकर्मे क्षेमवेदुना दश
दश प्रकारकी है अनन्त छुघा, पीपासा, शीत, उष्ण, रोग,
शोऊ, ज्यर, छुटाशपण, ऊर्फणपणे, अनन्त पराधिनपशे यह
वेदना मेसो होती है पेहली नरफमे दुसरी नरक अनन्त
गुणी वेदना है एषं यायत् रीस सात्तमी नरकमे मनन्त सखी
पेदना है अथया नरकॉंके नामाुम्बारभी नरकमे रेदनाहै सेमे
रत्नप्रभामें सरफरंड रत्नोंका है तथा पह वेदना पहूत है ओर
शार्फरप्रमार्मे जमीनके स्पश तरपारकी घारासे अनन्त गुण
तीक्षण है बालुकाप्रभाकी गेती अभ्रिके माफी जल रही है,
पकप्रभा रौद्रमेद चरवीफा किचमचा हवा है धूमग्रभामें शोम-
निय मराफमे श्ननन्त गुण सारो धूम हं, तमप्रभामे अन्धार,
तमतमाप्रभामे धौरोनधौर अन्धार ह इन्यादि प्रनन्त वेदना
नरकमें है,
(१६) दैपकृतयेदना-पेदली, दुसरी, सीसरी नमे
परमाधामी देवता पूैमय कृत पाको उदेश २ के मरते
चोधी पचमी नरम श्रगर यैमानि देयोकायैर दो तो पैर
लेनेको जाके बैदना करते है छठी सातमी नारकीमें नारकी
झाफसमे ही श्वान माफीऊ मरते कटते है देगझुत येदनायाला
नरकसे आपस वेदनावाला नारकी असगयातगुणा है
(२०) वैक्रयद्ार--नारकी जो चैक्रेय बनता है অহ
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