दिव्याचार्य | Divya Charya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
167
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुण्य पंथ भागी नर में-
मानवता मुस्काई;
नयी सभ्यता, नव संस्कृति की-
नयी शिखा लहराई;
यह निर्य श्रमण-संस्कृति है-
सभी तरह सुखकारी;
शुद्ध सत्व का तत्त्व यहाँ है-
निर्मल गुण अविकारी;
साधु-पंथ है यही कि जिस पर-
मानव बढ़ता आया;
इसी राह पर पुण्य-जिनेश्वर
ने है दीप जलाया;
इसी दीप के नव प्रकाश में-
हम सब जीवन जीते;
परम पूज्य के वचनामृत को-
मुग्ध हदय से पीते;
जयति जिनेश्वर ! पूजनीय पद्-
রি पर हम मस्तक धरते;
कए मिरे जन-जन हो निर्भय-
पूजन-अर्चन करते ! ।
{ दव्याचार्य्/ 17
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