पुराण साहित्य एवं श्रीमदभागवत | Puran Sahitya Awam Srimadbhagawat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Puran Sahitya Awam Srimadbhagawat by विश्वनाथ शुक्ल - Vishwanath Shukla

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विश्वनाथ शुक्ल - Vishwanath Shukla

Add Infomation AboutVishwanath Shukla

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
কই पारतदर्ष के परदोन रलिहास के कान के लिए बाहर ब्रथों के प्रध्ययत अभिवाय ০5 = ~ = সূ ~ জা লাল = ~ चान आएं यही के न्न्य ठव रूढे दानिक লন का जात श्रत करन क भनुषरु হনয় জা प््ययत करते थे , परी ग्राउथ्थकों मे झागे चलवार उपनिष्रदों का বিলাল ইয়োর বা प्य উজান স্ঞ হত আহক হল बाल तजस्थी पत्य-भाण्डामार है | उपजियरोी পি লালন দে तमम्‌ ई অভিলস্ন प्रशत्ा एर विचार किया गया है, और 1 समपन्न प्रस्तुत किया शुबा है... परमनियदी का प्रदुे पहुंदय बद्मविद्या का সহিদুল ই রা পি = = भ = 11 द) शनम कड = सिर जाए थे प्रन बन की अन्म न्ड केदाक्ता भी कहा जाता है; जह, जीत रे লে জাই কী লা টিপা सम्बन्ध হিল प्रहा + লাল भार শা द्र कनन জা জমান ইলম पनन्त नन्दन द्वन ब्रह वरवकेन्‌ अपाद स्तीय च ट = © का, १० ६ | ८4 दुद 2 হু ~~ स्य १ > ४ केक दत {८} बेस, (६, कट 7४ সন >] ण्ठ ६. मापइक्य 15) तरयराय, চস) एतरब, १ १ 9 রঃ बदिम লালিহন কী ভিহশলে কাকি व उसमें बशित कर्मकाप्ड को सक्षेप्र में हृदसाम के लिए भारटीय अनीधियों में सब-्सार्ित्य का नृपात्‌ किया $ परिमित म परिमित शह्दी हे अपरशिमित अर्थ का बंध कराने बालि बाकयों और वाक्याझों का सर्जन हुआ । इसी इन्हे सजा बहा गया। मत माहिल्य बार भाशों से विभक्त हुआ 1115) আনিস, पद्म्‌, 73३) अमेसद्ध तथः 1४) शुरदसत, आऔतसत्रों में वदिक कर्सकाण्ड का জিব है । गुझ জঙ্গী मे পুত জনল্িদি के लिये कर्सव्य ऊमों का विधान है। बर्मसत्राम सामाजिक क्मण्यों का निरूपरएए है और शब्द यंत्रों मे यक्षवेटियों की निर्मारा-क्रिफाः प्दि श्यो करा वरुन हैं । শরিক साडिस्म बालास्तर में दुरूढ् मे दुखहतर होते! गया झौर भारतीय मनीपी भी লক আর কষা লজিক রা মনল কা শু লগত प्रप्तशाल रहे। वेद के विविध হরর হষ লা কা मुख्यवात्यत अध्ययन নামল र वि छू হাহ का आविष्कशा हुआ , বৰ ৮70] शिक्षा, 1+1 সত 881 জাবি নটি {४4 छन्दः ,५; ज्योतिष और १४१ जिम এ বল की विष्णो दलो यम्म्क्‌ उना दः पट वेदाध्यारी कहलाता था। এ अर ४ জার বত গা भुन ग्या नक, नन धत, कलः हूय, शिक्षा नासिका तथा दन्द উর ক নাশ কালার । বর के হুমা को शिक्षा देंगे के लिए 'शिक्षा का निर्माण हुमा ; भाश के पच्छाएश था पेशारनिक-विवेबरना प्रस्तुत करते बाले ये प्रथम प्रथ हैं। इन्हे श्रित्य भा जटः जाता হি प्रृंदक-प्रथक्‌ वेदिक सहिताश्ोों के पृथकू-पृथरू = प्रक्ष्य ह; बार्मकाशइ कर शाम তাস काने के लिए कल्यसओों का प्रशयन हुआ ! प्रवाक्त शतमुण, शृद्धासंत्र एव নখ ही| बनप्नत्न अहम रे हैं। व्याक्रमा का उद्देश्य शब्द-रपों ९ भरी बाते करो को भूद्ध जान प्रात करवा है! पराशिति का अष्टाध्यायी व्याकरण विद्या विश्रत हूँ किस বানি मे भी एव बाहर ग्न्यों के काल में ही ब्याकरणस-विचार न |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now