द्रव्यानुयोगा | Dravyanuyoga Part -ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
874
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सम्मान्य सहयोगी सदस्य
श्री शान्तिलाल जी सा. दुगड, नासिक सिटी
आप युवा कॉन्फ्रेंस के अनेक वर्षों तक अध्यक्ष रहे। नासिक सिटी श्रावक संघ के
अध्यक्ष हैं। वर्धभान महावीर सेवा केन्द्र, देवलाली (नासिक रोड) तिलोकरल धार्मिक परीक्षा
बोर्ड, अहमदनगर आदि अनेक संस्थाओं के आप ट्र॒स्टी हैं। आपकी आचार्य सम्राट् श्री
आनन्द ऋषि जी म. व मालव केशरी श्री सौभाग्यमल जी म. के प्रति विशेष श्रद्धा-भक्ति
रही हे। आप वहुत ही उत्साही, उदार हदयी धर्म श्रद्धालु श्रावक हैं। आपकी सेवा भावनाओं
से प्रेरित होकर, समाज भूषण, समाज गौरव आदि अनेक पद प्रदान किये गये। आपकी
धर्मपत्नी श्री चन्द्रकला बहन भी बहुत ही श्रद्धालु श्राविका है।
स्व. श्री भंवरलाल जी मेहता, पाटी (मारवाड)
आप पाली के सामाजिक, राजनैतिक आदि अनेक संस्थाओं के प्रमुख कार्यकर्ता थे।
पंचायत समिति, पाली के प्रधान रह चुके हैं। आप भांवरी के भी सरपंच रहे हैं। अनेक
वर्षों तक मरुधर केशरी शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष रहे हैं। श्रमण सूर्य श्री मरुधर केशरी
जी म. एवं उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति आपकी विशेष श्रद्धा रही। पाली
श्रावक संघ मै भी आपका विशेष सहयोग रहा। आपके दो पत्र खींवराज मेहता एवं रंगराज- `
मेहता, पाली में ही मान श्री टेक्सटाइल के नाम से व्यवसाय में लगे हुए है।
स्व, श्री मेघराज जी रूपचन्द जी, साण्डेराव
आप गह ही धर्म श्रद्धालु सुश्रावक थे। साण्डराव संघ क प्रमुख कार्यकर्ता ये। पृज्य
गुरुदेव के प्रति अनन्व श्रद्धा-भक्ति थी। आपके श्री कुन्दनमल जी, उम्मदमल जी, छगनलाल
जी, जयन्तिलाल जी आदि सुपुत्र भी वहुत ही आज्ञाकारी व धर्म श्रद्धालु हैं।
जनसन अम्ब्रेल्ा इण्डस्ट्रीज के नाम से आपका प्रमुख व्यवसाय ह।
सेठ श्री सूरनमल जी सप. गेहलोत्, सूरसएगर (जोधपुर)
आपका जन्म माली परिवार में स्व. चतुर्भुज जी गेहलोत के यहाँ हुआ। आप बहुत ही
साधारण स्थिति के थे फिर स्व. युवाचार्य श्री मधुकर जी म. के सदुपदेश से जैन धर्म स्वीकार
किया। आपकी धर्मपली झमकुबाई व तीनों सुपुत्र व पौत्र वहूत ही धर्म श्रद्धालु ह आपके पत्थर
का व ट्रांसपोर्ट आदि का बहुत वड़ा व्यवसाय है। जैन धर्म स्वीकार किया तव से ठोनों ही
सामायिक, पर्व तिधियों में पोषध व रात्रि भोजन आदि सभी धर्म क्रियाँ कर रहे हैं। प्रतिदिन
१६ सामाचिक तक भी कर लेते हैं। आपने सूरसागर में बहुत वड़ा अस्यताल का निर्माण करदाया
६ तथा वहीं पर अनुचोग प्रवर्तक श्री कन्हैयाताल जी म. सा. का चानुर्मास करवाने का भी लान 0) ৮
प्रात्त किया। अस्पताल को रेफरल चिकित्सालय का रूप देना चाहते हैं। झापकी महासती पानक्ंदर 101 न
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