आधुनिकता और हिंदी साहित्य | Adhunikta Aur Hindi Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. इन्द्रनाथ मदान - Dr. Indranath Madan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सर सभी का फाँसने वाला हूँ ट्रेप
डरकी टोपी, दुपलिया था किश्ली केप
भोर
घूमता हूँ सर चढ़ा
तू नहीं मैं हो बडा
अगर कुछुरमुसा की रघना केवल झपना बड़प्पत या भह्ट कायम करते के लिए
है तो क्षोषऊ-शोपषित का संकेत उसी तरह है जिस तरह उपेक्षित भदद के उन्न-
হন का; लेकिन इसकी तह से विस्ंगति का बोध है जो प्राथुनिकता की चुनौती
का परिणाम है जो तोड़ती पत्थर और सिक्षुक की छावावादी करुणा भौर
समवैदना के विरोध में है ! इसमें विसंयति का वोध अ्स्तित्ववादी विन्तन कौ
देत न होकर व्यथंता की संवेदना को लिए हुए है ।
४--यह करिता का पहला भंश है, इसका दूघरा भ्रंश नब्बाब के बाग के
बाहूर से घुरू होता है, उस परिवेश्न से जो शोपक-घोषित का संकेत दे सकता है,
लैकिन इसमें भदेस का वित्रण, नय्वाव के सोलह खादिमो की ग्रिनती, मोता बीबी,
गोली झौर बहार को बयान करने का प्रन्दाज शोषित से सहानुभूति के उद्देश्य
को लिए हुए नहीं है। गोली प्ौर बहार दोनो पर भीटी चुटकियाँ, गोली की
माँ की पद्चान समाजशास्त्रीय सुल्यांकन में फ्ट नहीं बैठती । कुझुरमुत्ता का
भी प्रस्त में मज्ञाक उड़ाया गया है । ছল কবিরা ক ধর ध्श में व्यंग्य उतार
पर है; लेक्नि कह्दीं-कहीं रखती टेरियर श्रोर भाधुनिक पोयट पर स्यंग्य के
छीटे बविता डो टस होने से बचा लेते हैं। इसकी ठान कऋुझुरपुत्तः की पोलिकता
पर टूदती है; लेक्नि कविता षा यह घान्दिक प्रनत है; इसदा प्न्त इसके
যাহ निकल कर खुल जादा है। यह व्यथेता भोर विसंग्रति का संकेत छोड़
जाता है । एस तरह केः सवाल पंदा हो जाते हैं। बया कडिता गमी रता वो लिए
है? ष्या पदक प्रगभीरता में ममोरता बा पुट है ? वया रुशुरखुत्तः की
हींग में कुष्ण व1 बोध है था निरचेंत्र दा भा ? पया इसकी झ्रकाध्याश्मक मापा
में छापाबारी काशथ्याह्मक मापा का विरोध नहीं है ?े क्या इसमें साथारथ प्रोर
प्रसाधारण दोनो वा उपहास नहीं है ?ै क्या एत सब में प्राधुनिकठा वा शोष
उजागर नहीं होता ? यह प्रावश्यक नहीं है कि यह उम्रो तरह हो जो इसके दाइ
दो दविता मे है| धापुतिदता शो प्रतिया, जो जारी है, बभी भानद वी
इंदलती स्थिति को लेकर है तो बमो इसबी प्रतिश्चित नियतिं को लेदर
भर दोनों को घलगाता भौ संगत नहीं जान पड़वा । बात दल देते हो है।
शुश्रमुत्ता के प्रतिरिश्त तिशला ধী হাল) शोर कानो, समोह्रा, प्रेमन््सगीत,
ঘর परौड़ो प्रादि बा मिशज झौर पन्दाड भी छायावारी बिता के श्वभाव
ছি হাল ই (হিং में है । इसलिए शुश्रमुर्ा को इस बदितापों का प्रति-
पझापुनिपरठा भौर बढ़िया / १४
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