इंग्लैंड में महात्मा जी | Eingland Ma Mahatma G

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Eingland Ma Mahatma G by महादेव देसाई - Mahadev Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह [ इंग्लैंड में महात्माजी साहब ( भोपाल ) को पार्टों में कोई कार्मीरी दुशाले खरीदना चादते हों, तो मुझे बताओ | मित्रों ने मेरे लिए जो बहुत से शाल दिखे हैं, उनकी दूकान खोल सकूँगा। एक मित्र ने मुझे ७००) का जो बहुमूल्य शाल दिया है, वह इतना मुलायम ओर बारीक है कि एक अँयगूठी के बीच में से निकल सकता है। कदाचित्‌ उन्होंने यह खयाल किया होगा देखाने के लिए कि करोड़ों भारतीयों का में कितना अच्छा प्रति- ২ = निधि करता हूँ , भें यह शाल झदकर गोलमेज्ञ-परिपद्‌ मे जाऊँगा ! अच्छा हो, यदि बेगम साहवा इस बहुमूल्य शाल से मुझे मुक्त करें और के बदले गरीबों के उपयोग के लिए मुझके ७०००) स्पये द्‌ । रारीवों / 4 के एकमात्र प्रतिनिधि के लिए यही सबसे उपयुक्त है ১ यह फटकार अनुपयुक्त नहीं थी, पह बात इसीसे निश्चित रूप से सिद्ध हो जायगी करि इसके परिणामस्वरूप हमें को छुँटनी करनी पड़ी, उससे हम कम-ते-कम सात सूद्धकेत अथवा केबिन ट्रंक अदन से वापस लोदा कर उनसे छुट्टी पा गये । समुद्र क्षुब्ध है। हममें से अधिकांश गाँधी री से, जिनसे बढ़कर 'राज- पूतानाः जदाज्ञ पर शायद शौर कोई नाविकः नदीं बहन करने के लिए तैयार नह सतह पर उन्होंने एक कोने में अपने है, ओर वे अपयने दिन का अधिकांश और सारी रात वहीं दिताते हैं। उस +) 2 7 त) 1 री ने उनदे कटा, (मालूर हेता है, हम लोगो ২২




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