तुनीर | Tunir
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
हिन्दी का वत्तमान साहित्य बड़े वेग से उन्नति कर रहा है ।
कविता का विभाग तो शायद धन्य सभी छेनों से चधिक फल-
फूल रदा हे । याज से ऊद महीने पहले मेने कूवितायों का वगी-
करण किया था । देखा, हिन्दी की वर्तमान कविता में कुछ उदासी,
कुछ विरह कुछ अवसाद और कुछ थकान फा-सा भाव प्राता जा
रहा है । अभी कल्न तक जो साहित्य स्वकीया और परकीयाओं के
कल-कल्लोलों से सुखरित हो रद्दा था उसमें अचानक इस
प्रकार की उदासी आ जाना कुछ विचित्र ज़रूर है, पर भाश्चय-
जनक नहीं । आज का युवक-कवि केवल शजभाषा या संस्कृत
कवियों के पुराने संस्कारों से ही प्रभावित नहीं है ; उसके सामने
सारे संसार का साहित्य है, वह अचानक एक नये प्रकाश में आ
उपस्थित हुआ है, जो आकषक सी है और उत्तेजक भी। युवक
में-का कवि-पुरुष इसकी उपलब्धि करना चाहता है, पर उपत्वग्धि
को प्रकट करने के क्षिपु उसे भाषा की आवश्यकता है। पुरानी
भाषा, रिरि चाहे वह खड़ी बोली हो या त्रजभाषा, इसके किए
उपयुक्त वाहन नहीं है। उसे भाषा की रचना करनी पदी हे।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...