राजनीति शास्त्र के मूल सिद्धान्त | Rajniti Shastra Ke Mool Siddhant

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Rajniti Shastra Ke Mool Siddhant by योगेन्द्र कुमार मल्लिक -Yogendra Kumar Mallik

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्या राजनीति शास्त्र विज्ञान है ? १५ की कमी और एक मत का अभाव इसलिए नही कि हमारे पास वैज्ञानिक साधनों का अ्रभाव है या प्रयोगशालाएं नही । वस्तुत राजनीति शास्त्र में हम जिस विपय-वस्तु का अध्ययन करते है, वह अत्यन्त जटिल (007ए1०८४६१) है, उसमें स्थिरता नही । हमारा क्षेत्र मानवीय सम्बन्ध है, और मानवीय सम्बन्ध हमारी उन मानसिक वृत्तियो का परिणाम हैं जो क्षण-क्षण मे श्रपता रूप बदलती रहती हैं, उनकी गणना ((एपा81107) या उनका वर्गकिरण श्रौर उनकी यथायं पकड हमारे वस के बाहर की बात है, ऐसी प्रस्थिर विषय-वस्तु का श्रव्ययन और उस श्रव्ययन पर श्राघारित नियम भला स्थिर कंसे हो सक्ते ই, ন सर्वकाल श्रौर सर्वदेशमे सत्य कंसे हो सक्ते है ? हमारी मानसिक प्रधृत्तियां श्रनेक प्रकार के वाह्य प्रविष्टन (प४7००- [360) ने प्रभावित श्रौर विकसित होती रहती है 1 श्रत. प्रत्येक देश की भौगोलिक और सास्कृतिक परिस्थितियाँ विभिन्‍न मानसिक प्रवृत्तियो को जन्म देंगी और उन्ही पर विविध राजनीतिक और सामाजिक विधान त्तेयार होगें। उनमे एकरूपता का अभाव साधारण वात है | यही कारण है कि हमारे यहाँ प्रयोग सम्भव नही, बसे प्रयोग जंसे कि वैज्ञानिक अयोगशालाओ मे होते रहते हैं । सारे विश्व में एकरूप (एछप्वा071) परिस्थितियों का निर्माण सम्भव नही जब कि प्रयोगशाला मे यह सम्मव है । एकरूप परिस्थितियों के श्रभावमे किये गये प्रयोगो द्वारा प्राप्त परिणाम सर्वकालिक और सर्वदेशीय सत्य नही हो सकते । सामाजिक विज्ञान में हम जीवित प्राणियों का अ्रव्ययत करते है निर्जीव व जड पदार्थों का नही । मनुष्य सर्वप्रकार से प्रवुद्ध, जीवित, चेतनासम्पन्न और इच्छा- रावितयुवते प्राणी है । श्रतः उस द्वारा रचित सामाजिक विधि-विघान का अध्ययन सरल नही हौ सकता । जड पदार्थो के गुण, परिमाण इत्यादि का आसानी से अच्ययन किया जा सकता है । अत. राजनीति विज्ञान श्रपनी विपय-वस्तु की श्रस्यिरता के कारण स्वाभावत- ही अस्थिर है । राजनीति शास्त्र एक विज्ञान है, इसमें किसी प्रकार का सन्देह नही । क्योकि विज्ञान से हमारा प्रयोजन, जैसा कि डा० गारनर ने कहा है, किसी विपय के सम्बन्ध से उस एकीकृत ज्ञान मण्डार से है, जिसकी प्राप्ति विधिवत पर्य वेक्षण, श्रनुभव और श्रघ्ययन द्वारा हुई हो श्रीर जिनके तय्यों फा परस्पर उचित सम्बन्ध स्थापित करके फरमवद्ध वर्गीकरण किया गया हो 1 इस्त प्रकार किसी भी विपय का वैजानिक अध्ययन किया जा सकता है, क्योकि विज्ञान का मुख्य आधार अध्ययन की पद्धति है। और श्रघ्ययन कौ वज्ञानिक विचि किमी प्रकार के वेज्ञानिक वर्ग की बपौती नही हो सकती । उसे समाज विज्ञान और प्रक्ृृषत विज्ञान सभी में प्रयोग किया जा सकता है। राजनीति में राज्य तवा मरकार से सम्बन्वित क्रियाओं और तथ्यों को वैज्ञानिक अध्ययन का प्रयत्त किया जाता है, राजनीति तथ्यो का वैज्ञानिक पर्यवेलरा (0952४४॥ ०1) कर, उनका पास्परिक सम्बन्ध स्थापित कर फिर उनका वर्गीकरण




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