चन्द्रकांत (भाग- २) | Chandrakant Part -2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
710
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्वितीय भाग
ततीयप्रवाह- अच्युतपदारोहण
प्रवेशिका
वेदस्याध्ययनं ते परिचित शार्त्र पुराणं ल
सवे उ्यथमिदं पदं न कमलाकान्तस्य चेत्कौ तितम् ।
শা অন্ন विरवितस्सेको5म्भसा भूयला
. सर्व निष्फलमालचालवल्ये क्षिप्त न बीज यदि ॥
- अथ-क्यारी खोदकर चारोंतरफसे एकसी मेंडे (बंधान) बनाकर बहु-
तसा जक भरा जाय, किन्तु उसमं बीज न बोया जाय तो सब व्यथ जाता
है, इसी प्रकार वेदोका अध्ययन किया हो, शाखोंको जानता हो ओर पुरा-
णको सुना हयो, किन्तु यदि कमलाकान्त लक्ष्मीपति परमेश्वरके चरणकम-
लोका गुणगान न क्या दहो तो यहं सव वेदाध्ययन नादिका परिश्रम
व्यर्थदही जातादहै. „+` =
अद्भत बडकद्शेन ,
[]শ্রিকাজিভাহ ভিত”
दिन कोई चार घड़ी चढ़ा था. बनमें पशु पक्षी अपने अपने काममें
ध्न्डबकग्ड- रग गये थे, आमकी डालियोंपर छटकेहुए पके फरलोंका
स्वाद चखनेके लिए तोते ओर कोयछ मधुर शब्द करते- हुए जहां तहां
.डड़बैठ रदे थे. सुन्दर और दूरतक फेह्टे हुए. सरोवरके स्वण जैसे দিম
जलमें विचित्र ओर सुगंधवारे कमलके फूछ खिल रहे थे. विविध भांतिक
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