श्रमण सूक्त | Sraman Sukt
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिः “छ
घिरत्थु ते जसोकामी
जो त जीवियकारणा |
वन्त इच्छसि आवेड
सेय ते मरण भवे।।]
(दस २ ७)
है यश कामिन् | घिक्कार है तुझे ! जो तू क्षणभगुर
जीवन के लिए बनी हुई वस्तु को पाने की इच्छा करता हे।
इससे तो तेरा मरना श्रेय है।
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