भारत में आर्थिक पर्यावरण | Bharat Mein Arthik Paryavaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आर्थिक पर्यावरण - अर्थ तथा आर्थिक पर्यावरण को प्रभावित्त करने वाले तत्त्व (00017007010 71%17017776716-0102878715 2710 00605 £১06066 [০91501510 ১৬170156870) आर्थिक पर्यावरण (६०० एण मपालाप्‌) आज से लगभग चार दशक पूर्व पर्यावरण शब्द यदा-कदा ही पढने और सुनने में आत्ता था। कितु हाल ही के वर्षो मे भारत मे ही नहीं अपितु समूचे विश्व मे पर्यावरण चर्चा का विषय है। विकारा के साथ प्रदूषण बढा है। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण तुलनात्मक रुप से अधिक चर्चित है। पर्यावरण ब्रेहद व्यापक है। इसमे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सास्कृतिक आदि घटनाओ को सम्मिलित किया जाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसकी आवश्यकत्ताए अनत है। मनुष्य को आवश्यकताओ की पूर्ति के वास्ते अनेक आर्थिक क्रियाए करनी पडती है । इन आर्थिक क्रियाओं पर वातावरण का प्रभाव पडता है । मानवे वात्तावरण की उपज है । आज मनुष्य वातावरण को पक्ष में करने के लिए प्रयासरत है| मनुष्य की आर्थिक क्रियाओ का प्रभाव वातावरण पर भी पडता है। बदले परिवेश में आर्थिक पर्यावरण की धारणा महत्त्वपूर्ण हो गई है। আরিক ঘববিততা কা জী (১1620109 017601700710 10517010171) आर्थिक पर्यावरण जटिल अवधारणा है। आर्थिक पर्यावरण दो शब्दो से मिलकर बना है पहला आर्थिक तथा दूसरा पर्यावरण | आर्थिक पर्यावरण को जानने से पूर्व इन दो शब्दा का अर्थ जान लेना आवश्यक है। आर्थिक কা আখ (462208 068০০707230) अर्थशास्त्र सीमित साधनों के वितरण तथा रोजगार, आय ओर आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वो का अध्ययन है। अर्थशास्त्र में उन सब्र क्रियाओ को सम्मिलित किया




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