सुलभ कृषि शास्त्र भाग 1 | Sulab Krishi Shastra Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
418
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विविष पकार के खाद् ५
होते हैं, उनपर एक पुस्तक लिखी है । इस पुस्तक मे खाद् देने
के श्रलग-चलग तरीके, उनके परिमाण तथा समय आदि का
जिक्र है | हम यहाँ उसी पुस्तक के आधार पर खाद के फायदों
का थोड़े मे वर्णन करते हैं।
(१) खाद का असर बीज में मोजूद रहता है ओर खाद
दी हुई फ़सल के बीज बोने से दूसरे वर्ष अच्छी पेदाबार होती
हे।
(२ ) खाद दी हुईं फ़लल का बीज बोने से मामूलो उपज
की ज़मीन में भी अच्छी पदावार होतो है।
(३ ) गोबर का खाद दी हुई फ़लल का बीज बनावटी
खाद की फसल के बीज से कई गुना अच्छा होता ই।
(४ ) बनावटी खाद से पैदा की हुई फसल का बीज बिना
खाद की फ़सल से अच्छा होता है ।
(५) गड्ढे मे तैयार किया हुआ गोबर का सड़ा खाद ताजा
गोबर के खाद् से ज्यादा अच्छा रहता है ।
(६ ) सूखे पत्ते व दूसरी बिना काम कौ वनस्पति व फसल
के डंठलों को मिलाकर बनाया हुआ ( कम्पोस्ट ) खाद भी
गोबर के खाद के बराबर हो लाभकारक होता है।
(७) सड़ाये हुए गोबर के खाद का पानी या बची हुई
चीं भी उपर बाले खाद् के बराबर ही लाभकारी हाती ह ।
(८ ) सड़ाये हुए गोबर के खाद में से निकाले हुए पानी
में मामूली खाद के पानी की अपेक्षा विशेष खाद्य-द्रब्य रहते हैं ।
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