श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ | Shreshtha Hindi Kahaniyan

Shreshtha Hindi Kahaniyan by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय - Dr. Lakshisagar Varshney

Add Infomation AboutDr. Lakshisagar Varshney

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मीष्म साहनी मभटकती राख गवि में फसल कटाई पूरी हो चुकी थी । हँसते-चहकते किसान घरों को लौट रहे थे । भरपुर फसल उतरी थी । किसानों के कोठे भ्नाज से भर गए थे । ग्रहिखियों के होठों पर संगीत की घुने फूट रही थी । दूर-दूर तक फैली घरती की कोख इससे भी बढ़िया फसल देने के लिए मानो कसससा रही थी । रात उतर झ्राई थी भ्ौर घर-घर में लोग खुशियाँ मना रहे थे । जेब एक घर की खिडको में खड़ी एक किसान युघती जो देर तक मस्त्-मुग्ध-सी बाहर का दृष्य देखे जा रही थी सहसा चिल्ला उठी देखो तो खेत में जगह-जगह यहू क्या चमक रहा है ? उसका युवा पति भागकर उसके पास झाया । बाहर खेत में जगह-जगह सिलमिल-शिलमिल करते जैसे सोने के करण चमक रहे थे । यह क्या शिलमिला रह हैं ? क्या ये सचमुच सोने के कर हैँ? पत्नी में बडी व्यता से पुषछा । शसोता कभी यो भी चमकता हैं ? नहीं यह सोना नहीं है । फिर कया है ?




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now