मानचित्र तथा प्रयोगात्मक भूगोल | Manchitra Tatha Prayogaatmak Bhoogol
श्रेणी : भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
287
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ मानचित्र तथा प्रयोगात्मक भूगोल
स्थान फ्रांसीसी कालाकार ले बैठे । कालान्तर में इंगलिश स्कूछ तथा जर्मन स्कूल की उन्नतिके साथी उच स्वूल---
अपने महत्व खो बैठा ।
(३) फ्रांसीसी स्कूल
मानचित्रों के पुररुद्धार की लहर फ्रान्स में भी पहुँची और “जाग्राफिया' का प्रथम फ्रान्सीसी संस्करण १५३५ ई०
में प्रकाशित हुआ। किन्तु फ्रान्सीसी मानचित्र-रचना का वास्तविक सूत्रपात १७वीं श० में निकोलस सैंसन
(7२००1७५ 9911507, १६००-१६८७) के प्रभाव में घ्राने पर हृ्रा। ससन स्वयं भी डच स्कूल से प्रभावित
हो चुका था । सैसन ने बहुत से मानचित्रों एवं एटलसों का निर्माण किया। फ्रांसीसी स्कूल का एक श्रन्य अभाव-
ताली व्यवित जैकाट (1211101) था जिसने श्रपना 'एटडस नोबो” (811851घ0८४९४७) १६८१ मे प्रकाशित किया
और १६९२ तक उसके चार संस्करण हुए । उसका एक श्रन्य संस्करण १६९५ में परिवर्तित शीर्षक 'एटलस फ्रांसियों नाम
से प्रकाशित हुआ । सामन्य रूप में इन मानचित्रों को डच मानचित्रों का प्रतिरुप कह सकते हैं जिसका झुकाव भवश्य
ही वैज्ञानिकता की ओर था।
(४) इंगलिश स्कूल
मानचित्र रचना के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इंगलैड ने इस क्षेत्र में
वहृत प्राचीन काठ मेही प्रवेश किया था । प्राचीनतम देशीय मानचित्र, विश्व का एग्लो सव्सोन (^110-58>0 )
मानचित्र का निर्माण १६वीं श० के अन्तिम चतुर्थाश्व में हुआ था। क्रमिक श्ंखला में १३वीं शताब्दी के चार
मानचित्र भी हम लोगों के ध्यान के अधिकारी है। तथापि, इंगलिश मानचित्र रचना का लक्षित करनं योग्य
विकास एक्िजावेथियन युग मे हुआ्रा । ब्रिटिश स्कूल के वास्तविक संस्थापक संवसटोन (31011) तथा स्पीड
(30660) इसी युग में पैदा हुये थे । क्रिस्लोफर सक्सटोन (१५७०-९६) ने केवल एक प्रमुख एटल्स का निर्माण नहीं
किया वल्कि २० पत्रों में एक बड़े पैमाने पर आ्राधारित इगलैड तथा वेल्स के मानचित्र का भी निर्माण किया जिसका
पैसाना १-०८ मील था। जान स्पीड (१५५५-१६२९) ने सेक्सटोन के उत्तराधिकारी के रूप में उसके कार्य को
मौर श्रागे बढ़ाया ओर १६११ मे उसने श्रपने ¶1162{7€ 0 1116 76 0 5164 73116917- সমূজ
गण समन्वित एक एटल्स जो सम्भवतः इस तरह के श्रेप्ठतम इगलिदय उत्पादनं मे से एक था--का प्रकाशन किया ।
स्पीड के एटलसों एवं मानचित्रों की लोकप्रियता इसी से लक्षित होती है कि १९वीं शताब्दी के श्रन््त तक उसके १४
पुनमु द्रण हो गये हैं। “किंग्स कास्मोग्राफर जान ओगिल्वी (1017 01५16, १६००-७६) ने इंगलेण्ड और
वेल्स की सड़कों की पैमाइश की और चिताकपंक सड़क मानचित्रों का प्रकाशन किया; जब कि सर विलियम
पडी (ऽः ज्ञात 7619) ने आयरलैण्ड की पेमाइश कर अपने मानचित्रों को एटलस के रूप मे सन् १६८३
मे प्रकाशित किया । अपने प्रथम वायु-विज्ञानीय तथा चुम्बकीय चार्टों को लेकर हैले (1181169) ने १७वीं शताब्दी
के ब्रिटिश मानचित्र रचना के यशरवी अध्याय को ससम्मानपूर्ण किया ।
श
(५) जमंन स्कूल
मानचित्र रचना के इतिहास मे जर्मनी का एक विशिष्ट स्थान है । एक देश के खूव में स्पष्टतः ही उसने
कभी रंगमंच को शासनाधिकृत नहीं किया, लेकिन एक राप्ट्रीयता के रूप में उसने कई देशों से अपने को श्रेष्ठतर
सिद्ध किया तथा उसके मानचित्रकारों ने देश-विदेश में जमंन-प्रतिभा को विख्यात किया। टालमी की “जाग्राफिया'
का प्रथम संस्करण “निकोलाज जर्मनस (]बा20]018 (00177105$) द्वारा सन् १४८२ में उल्म (छाए) में
प्रकाशित हुआ जो ससामयिक ज्ञान पर आधारित पांच नये मानचित्रों के साथ उसके इटेलियन श्रनुवाद का एक
संशोधित रूप था। सन् १४९२ में दो प्रमुख जर्मन देनें--एक हेनरीकस मार्टेलस (17910110119 1৬8710105),
का विश्व मानचित्र तथा दुसरा माटिन वेहेम (1191771 86118771} का ग्लोव प्रकाश में आई।
आधुनिक शोधों ने यह निरिचत कर दिया है कि १७बीं शताब्दी जमन मानचित्र रचना कै श्रत्यन्त प्रसिद्ध कारों
में से है। इसी काल में जर्मनी ने अपने अनेक प्रमुख मानचित्रकारों, जैसे इल्लाव (1212210) शोनर शेडेल
(901010' 80160681) , वाल्डसीमूलर (৬৬ 21059017017), উনাহাযল মৃল্ততৎ (90199511011 शणा४ंछ )
इत्यादि को उत्पन्न कर इस क्षेत्र में प्रमुख स्थान त्राप्त किया । मध्यन्यूरोप का मानचित्र तथा नूरेमबर्ग (]रैगाला-
0672) के पड़ोस के सडक का मानचित्र बनाने का श्रेय कुतुबनु मा के निर्माता इज्लाब को है। जान शोनर ने चार
তানীক্কা निर्माण क्रश: १५१५, १५२०, १५२३ तथा १५३३ किया जिसमें प्रथम ग्लोव (१५१५) मगलन (11226-
11811) के इतिहास प्रसिद्ध जहाज द्वारा भू-्रदक्षिणा के पहके कै दक्षिणी ्रमेरिकासे हौकर जाने वाठे मागं का परिचय
देता है । वाल्डसीमूलर ने अमेरिका के धर्म पिता के रूप में ख्याति प्राप्ति की, व्योंकि १५०७ में उसी की पुस्तक
कास्मोगरेफियो इन्टरोडविशयो' (01021116 [71(70त7८0--सृष्टि-स्चना-परिचय) मे प्रास्तावित नाम
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