उपनिषत प्रकाश | Upanishat Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के भूमिका # १५ तैयार हो । जब कभी कोई आय विद्वान किसी ग्रन्थ पर भाष्य करना चाहे उसका कतंव्य है कि उस ग्रन्थ के जितने प्रमाणों के अर्थ ऋषि दयानन्द ने किये हैं वे श्रथ ही उस स्थान पर आवें तो अधिक शोभा है। दो तीन वर्ष से इस तालिका का निर्माण मैं कर रहा हूँ और यह ग्रन्थ शीघ्र प्रकाशित होगा | महर्षि दयानन्द के ग्रन्थों में दिये गये प्रमाणों के पते आदि के सम्बन्ध में किसी आये विद्वान्‌ के पास जो सामग्री हो वह मुझे উজইন | ত্তল विद्वानों की परिषत्‌ द्वारा ही वह दयानन्द प्रमाण प्रकाश” नाम का बृहद्‌ ग्रन्थ प्रकाशित किया जायगा। इस तालिका के बनने के बाद प्रत्येक वैदिक ग्रन्थ पर भाष्य किये जावें और तब ही ऋषि दयानन्द के वेदभाष्य पर महाभाष्य की रचना हो | इससे पूर्व जो भी काय होगा उसमें ऋषि की बातों से विरोध कहीं न कहीं आा ही जावेगा। यह मेरी निश्चित धारण है। मैं नहीं चाहता कि आरयजगत में किये हुए भाष्यों की ऋषि के साथ विरोध की मीमांसा करू । अस्तु इस प्रकरण को समाप्त करते हुए अन्त में इस अब तक बने समस्त उपनिषद्‌ ग्रन्थों की एक बृहत्‌ सुची अकारादि क्रम से देते हैं। प्रत्येक उपनिषद्‌ का शाखा सम्प्रदायादि सम्बन्ध भी जो प्रचलित है दिखा दिया गया है । पाठकों के लिये यह सूची मनोरंजक होगी कि सत्य उपनिषदों के बाद संसार में कितनी उपनिषदों का निर्माण हो चुका है । इन शब्दों के साथ इस भूमिका को समाप्त करते हुए आर्यसमाज के विधाताओं और विद्वानों से प्राथंना करूंगा कि वे विचार करें कि ऋषिवर ने जितने उपनिषदादि अभ्रन्धों के प्रमाणों के जो अथ किये उनका कितना स्पष्टीकरण उन्होंने किया है ओर कितना अनुसरण उसका उन्होंने किया है। वेदमन्दिर ९९ बाजार मोतीलाल अआचायं विश्वश्रवाः बरेली यू० पी वैदिक रिसर्चस्कालर




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