जनता के तीन सिद्धांत | Janta Ke Teen Sidhhant

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Janta Ke Teen Sidhhant by कृष्ण किंकर सिंह - Krishn Kinkar singhसन यात-सेन - San Yat-Sen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रीयती : पहली व्याख्यान ही क्‍यों लागू होता है ! इसका कारण यह है कि छिन्‌* ओर हान* राजकुलों के समय से ही चीन का विकास एक राज के रूप में एक ही जाति से होता आया है जबकि विदेशों में एक जाति से कई स्टेट बने हैं ओर एक राज में कई जातियों का समावेश हुआ है | उदाहरण के लिये इंगलैण्ड को लीजिये | वहाँवाले श्वेत जाति के हैं जिसमें भूरे, काले तथा अन्य जातियों का समावेश होकर ब्रिशिश साम्राज्य बना है। इसलिये यह कहना कि नस्ल (7206) या राष्ट (8107) दी राज हे, इङ्गलेरड के लिये लागू नहीं होता । फिर, हाडः काठ की. जो ब्रिटिश अधिकृत प्रान्त है, जनसंख्या में कई हजार चीनी लोग हैं | इसलिये अगर हम लोग ऐसा कहें कि हाड काड का तब्रोन्‍्श राज ब्रियिश राष्ट्र (ए७४109) है, तो हम लोग गलती करेंगे; अथवा भारत को देखिये जो इन दिनों ब्रिय्श अधिकृत देश है। इस ब्रिटिश राज मं पतीस करोड़ भारतवासी हैं। अगर हम लोग कहें कि भारत के ब्रश राज का मतलब ब्रिय्िश राष्ट्र (080107) है तो, हम लोग गलत राएते पर होंगे । हम सभी जानते हैं कि इंगलैण्ड के मूल निवासी (81000) एंब्लो-सेक्सन जाति के थे | पर यह जाति केबल इंगलैण्ड तक ही सीमित नहीं है. संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भी इस जाति के बहुत-से लोग हैं। इसलिये दूसरे देशों के लिये यह कहना ठीक नहीं है कि नस्ल (72.06) ओर राज अमभिन्ने हैं | इन दोनों के बीच स्पष्ट अन्तर है। इन दोनों का अन्तर हम लोग कैसे साफ-साफ जान सकते हैं ! जानने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन शक्तियों का अध्ययन किया আম जिनसे ये दोनों बनते हैं 1 सीधे शब्दों में कहें तो नस्ल (7806) या ` লাবীপ্ববা (901017811৮5) का विकास प्राकृतिक ढंग से हुआ है जब कि. राज का विकास शब्त्र-शक्ति के बल से | चीन के राजनीतिक इतिहास से ही एक उदाहरण लिया जाय | चीन के लोग. कहते ই ক্ষি লাভবান লাজ: या. सुनीति का रास्ता--प्रकृति का अनुसरण किया। दूसरे शब्दों में प्राकृतिक शक्ति ही राज-धर्म थी | राज-धर्म द्वारा गठित समूह (21700) ही जाति (7806) है--जातीयता (21018111) है । .शस््र-शक्ति का ही नाम पा-तावः--ताकत की राह--है। ताकत की राह द्वारा गठित समुदाय (2700७) ही स्टेट है। उदाहरण देखिये--हाड काड_ इसलिये नहीं बना कि वहाँ के हजारों निवासी अंगरेजों को' ऐसा करने देना चाहते ये, १, २४६ २०७ ई० पू० | २. ई० पू० २८६-सन्‌ ११६ ई० तक




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