यूनान का राज्य दर्शन | Yunan Ka Rajya Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
35 MB
कुल पृष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)উর 8হিলাক।
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भोगोलिक एव पदंजिड्रासिक परिचय
কর তারা হেরে গালাগাল স্পা পা স্পর্শের
डोनियां में पुर्व-पाधाण-काल के लोग ही बसते रहे। दक्षिण में आबाद
एई नवागत जाति कसि के अतिरिक्त, ताबा, सोना ओर चांदी प
साथ-साथ उत्कृष्ट मिट॒टी के बर्तन भी प्रयोग में लाती थी जिससे
विदित होता हैं उनका सम्पर्क समुन्नत संस्कृतियों से श; कितु
यह लोग चाक का प्रयोग नहीं जानते थे, जो कि इनके झमगामियों
के साथ यूनान में आया ।
ई० पू० लगभग २००० के यूनान में उत्तर से आनेवाली एक
अन्य जाति का प्रवेश हुआ । यह अपने साथ कुछ दूसरी ही
जीवन-प्रणाली एवं संस्कृति लायी । यूनानी भाषा, जो डोरियाई आकऋ-
मण के उपरान्त भी प्रायद्वीप के उत्तरी खण्ड में जीवित रही, इन्हीं
लोगों के साथ आयी थी। इतिहासकारों का विश्वास है कि डोरियाइयों
के आने से पहले ही यूनान की भाषा स्थिर हो चुकी थी। यही आदि
यूनानी भाषा थी ।
ऋट-सभ्यता का यग
इसके उपरान्त जिस युग का प्रारम्भ होता है, उसे
इतिहासकारों ने उत्तर - हेलाडिक -काल कहा है । इसे
_ एजियन-सभ्यता का युग भी कहा जा सकता हैं । एजियन-सागर,
जो लघुएशिया तथा यूनानी प्रायद्वीप के बीच लहराता है, उसमें
स्थित द्वीप-सम्ह इस सभ्यता का क्ीड़ा-स्थल हैं । एजियन-सभ्यता
का सब से बड़ा केन्द्र बेबीलोनिया के समकक्ष था। छीट की सभ्यता
में बहुरंगे सिद॒टी के पात्रे, चित्रकारी की उत्कृष्ट कला, और सबसे
बड़ी विशेषता यह कि लिखने के लिए लिपि भी दिखाई देती है।
लोहे के अतिरिक्त तांबा, कांसा आदि धातुओं का प्रयोग किया
जाता था। सिले हुए वस्त्र, केश-विन्यास आदि के देखने से प्रतीत होता!
है यह लोग जीवन-कला में कितने आगे बढ़ चुके थे ! पूर्वी आबा-
दियों तथा मिस्र से क्रोठ का राजनेतिक एवं व्यवसायिक व्यवहार था
हे
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