भगवान बुद्ध का जीवन और दर्शन | Bhagwan Buddh Ka Jeevan Aur Darshan

Bhagwan Buddh Ka Jeevan Aur Darshan by धर्मानन्द कोसम्वी - Dharmanand Kosmvi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूमिका पानिन्वाइसय में दिपिटक निपिटक सास का थी य्र्थन्समुदाय प्रमुद है चकें तीन भेद हैं-न मु्यिटक वितयपिटक धर श्रमिघरेम पिटक । मुत्तपिडझ में प्रधानववा दुद्ध घर टनके श्ग्रथिष्यों के छादेगों का गंप्रत है । दितयर्दिटिड में सिधुों बे आचरण के सम्दस्ध में बुद्ध द्वारा बनायें गाए शियगों उनके दनाने के छारसों समय-समय पर उनसे रिये गए बरिर्तगों और उसवी टोरार्यों का संग हैं 1 बसिधस्नसिटेड मैं याद शब्याय हैं 1 उनमें शुद्ध मे पेश कि वाच बंद दिसाए हैं। दिविडिकाय मैं भौदीए दुढ गया है द्ई कर श्र है दर्द दिए 1 1 दर्द रद धद ििवलियय कटे डंप लि बन्द




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