कालापिनी | Kalaapinii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
155
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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242
कला
शत-शत स्वप्ना के चंचल-घन
आते वमन~वनकर सम्मोहन
अलि ! मेरी पलकों के भीतर कबसरे बसता मधुवन !
सन्ध्या की ज्वाला में घुलमिल
आँसू के तारोःसा अनमिल
कब अनजाने गूंज उठा अलि ! जीवन का सूनापन £
आज हिलारों का चल-अंचल |
साँसों से छू-छूकर प्रतिपल
प्रिय के कारण, या अपन ही उर हो उठता उन्मन ?
কিক
फूला के मन्दिर में अधिकल
श রন
विरही के दीपक-सी जल-जल
पीड़ाएँ क्यो बिखर रही वन-वन सौरभ का स्पन्दन !
अलि ! कलापिनी उतरी जग में
में बेठा एकाकी मग में
কব ¢ ৯
प्रिय की खुध में, या याही भरता गीतों की गुजन !
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