साहित्य और साहित्येतर | Sahitya Aur Sahityetar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विज्ञान-बोध, दिकूकाल, मिथकीय अर्थ रूपातरण, इतिहास बोध, राष्ट्रीय
आन्दोलन ओर नवजागरण, तत्नवाद और उपनिषदीय चितन आदि क्षेत्र है
जो उनके काव्य को नए अर्थ-सदर्भों की ओर ले जा सकते है। उदाहरण के
तौर पर प्रसाद के काव्य मे विज्ञान बोध, दिकूकाल, और राष्ट्रीय आन्दोलन
के जो सकेत प्राप्त होते है, वे समग्र रूप से प्रसाद-काव्य के चितन पक्ष
ओर यथार्थं पश्च को तो उद्धारित करते ही हे, प्रमाद कौ “जाने-सवेदनात्मक
ऊर्जा को भी प्रकट करते है। “कामायनी” प्रसाद का एक ऐसा ही काव्य है
जो विज्ञान बोध, दिकूकाल, मिथकीय-अर्थ रूपावरण तथा राष्ट्रीय आदोलन
आदि सरोकारो को रचनात्मक सदभं देता है ५ कामायनी मे 'परमाणु' के
तीन तत्वो (गति कपनं ओर उल्लास) का सकेत तत्रो से प्राप्त परमाणु
भावना से मेल खाते हुए भी, विज्ञान सम्मत है क्योंकि आइस्टीन ने परमाणु
को गति, कपन ओर उल्लासमुक्तं बताते हुए उसके गत्यात्मक (डाइनामिक)
रूप को प्रस्तुत किया है जो सृस्टि का मूल है।
अणुओ को है विश्राम कहा ^
है कृतिमय वेग भरा कितना
अविराम नाचता कपन हे
उल्लास सजीव हुआ कितना॥(काम सर्ग)
इसी प्रकार, प्रसाद मे विकासवाद, गुरुत्वाकर्षण और खगोल विज्ञान के
सकेत प्राप्त होते है, जो समग्र रूप से प्रसाद के बिम्ब और सोदर्य-दृष्टि को
समझने मे सहायक सिद्ध होते है। इसी सदर्भ मे एक महत्वपूर्ण बात यह है
कि प्रसाद काव्य और नाटको मे हमे परोक्ष रूप से, राष्ट्रीय आदोलन और
चेतना के यदा-कदा सकेत मिलते है जो मिथक ओर् इत्निहास के आवरण
मे छिपे हुए है। “शेरसिह का शस्त्र समर्पण” हो या “प्रलय की छाया
अथवा कामायनी का वह प्रसग जहाँ सारस्वत प्रदेश की रानी 'इड़ा' (राष्ट्र)
पर मनु द्वा अतिचार करने के विरोध मे जन शक्ति का उद्देलन और दूसरी
और 'महारूद्र' के नाराच को दिखला कवि ने परीक्षत राष्ट्रीय आन्दोलन
मे बिद्रोह की भूमिका को दर्शाया है। गहराई से दखा जाए तो प्रसाद का
साहित्य कर्म सघर्ष और राष्ट्रीय एकता का साहित्य है जो स्वतत्रता सग्राम
१ देखे मेरी पुस्तक “विचार-सवेदन भित्र आयाम म “प्रसाद काव्य मं दिकू काल
बोध और विज्ञान बोध”।
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