संसार के महानपुरुष | Sansara ke Mahanapurush

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Sansara ke Mahanapurush by मदनलाल तिवारी - Madanalal Tivari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संसारके महान परुष | (११) यम अञ्जनन वड वड वीरता ओर साहसके काम किये। भीष्म पितामह तथा कण इन्हाक हाथस भारेगये। इस लड़ाईमें श्रीकृष्ण इनके सारथी बने थे ओर भगव होताका उपदेश इनको किया था| राज्यासहासनपर वेठकर जब महाराज युधिष्ठिरने अश्वमेध यज्ञ किया तव ये यज्ञके घोड़ेकी रक्षाक लिये सिंध, मणीपुर यजतः दक्षिण इत्यादि देशोंमें गये और जहां कहीं किसी राजनि सामना किया उसा परास्त किया, अंतर्मे जब यादवोंमें आपसमें झगड़ा केला तब श्रीक्षप्ण- नान इनका दारका बुलाया ओर वहां इन्होंने श्रीकृष्के परमधाम सिधारनेपर पा अल्प (क्या का पश्चात्‌ हस्तिनापुर आये | महाराज यधिपिस्ते श्रीकृप्ण- 7 अतथान हॉनेका खबर सुत्त इनके पात्र परीक्षितको राजपाट सौंप दिया ओर पाता पाडवान द्रॉपदीसहित हिमालयपर जाकर देह त्याग दी | जलवरून|-जसका अवूरहां भी कहते हैं स, ३, ९७३ में खीबासें টা हुआ | जब महिमूद गज़नर्वीने स. इ,१०१७ में खीवा विजय किया तो वह अछ- वर्ना और छागाक साथ केद्‌ करके अपनी राजधानी गज्॒नीम ठे गया । गज॒नी परहुच अर्वरुनीने अनक भारतवासियोको जिनको माहिमूद यहांसे पकड़ कर छ गया था दखा। हिन्दोस्तानके वृत्तांतसे अछवरुनीन फारसामें एक प्रन्थ रचा 2 ।जसस इस रका प्राचीन गारेवता स्पष्ट माम होती है । इख कितावमे भास्तच उस समयन सामाजिक तथा ऐतिहासिक व्यवस्था अच्छी तरह दर्शा३ गई है आर इस देशकी विद्या, धर्मवर्णव्यवस्था, खानपान, रहन सहन, অধ वाड़ी, वणिज व्यापार, राजनीति, फलछफूछ, इत्यादिकाभी सबविस्तर वृत्तांत लिखा गया हैं, वराहमिहिरज्योतिषीकी भी प्रशसा की है और ढिखा हे कि भारतवासियात्र और देशोंकी अपेक्षा गणित शास्रमें अधिक उन्नति की थी यह भी लिखा है। कि भारतवासी विद्वान कवर. सवशक्तिमान्‌ परमेश्चरको मानं जसा 1 वदमि आर्‌ उपनिषदो ভিভ্ঞা ই ओर कुपटृढोग अनेक मूपियोक पूजा करत थ। अलवसरुनीन बहुतसे और ग्रन्थ भी बनाये थे | ४० बर्ष इससे 'हन्दरास्थान इत्याद अनक देशोंमें भ्रमण करनेमें बिताये | यह बड़ा ज्योतिषी, र्दा्तका ज्ञाता जार लयायिक्‌ पडत था । इसकी भविप्यवाणी सही होती थी अक अञ सूच वताताथा । घ. ३. १०५९ मेँ मर | अल्लाउद्दोन खिलजी ( विल्लीका बादशाह ), जब इसका चचा जलाछ- হান खिलजी हिंदोस्थानमें बादशाही करता था तब यह प्रयाग प्रदेशान्तगंत कडा-




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