भारतीय शासन-विकास | Bhartiya Shasan-Vikas

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Bhartiya Shasan-Vikas  by परशुराम प्रसाद - Parashuram Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय घासन विकास की शक्ति दिनों दिन बढ़ने लगी, और कुछ नये राज्यों का भी संस्थापन नि नया) ठय मे नानि পন হী শহু और राजनेतिक वातावरण बिगड़ লা! টলী হলা देखकर्‌ अँगरेजो ने भी अपना संगठन संभालना ओर शक्ति नंचय करना आरम्म कृर दिया। यहाँ यह बताना अनुचित न होगा कि सन्‌ १६९० में अंग्रेज़ों ने सुतनूती मे, जो जागे चलकर कलकत्ता हय गया सन्ना बंगोयकेन्द्र फिर से स्थापित किया। छः वर्ष के बाद उनको वहाँ किला बनाने क्री आज्ञा मिल गई। इसके दो वर्ष बाद उन्हें तीन गाँवों--- सूतनती, कालीघाट और गोविन्दपुर--की ज़िमीदारी मिल गईं। सन्‌ £ ३०० में बंगाल के व्यापार और प्रवन्ध का संचालन करने के लिए बंबई ओर कलकत्ता की तरह गासन स्थापित हो गया। इस केन्द्र का नाम फोर्ट विलियम रखा गया। भारत मं विप्लव देखकर्‌ कम्पनी ने फोटं विलियम क्रिलाओौर भी सुदृढ़ कर लिया। सन्‌ १७१५ में उन्होंने अपने प्रतिनिधि देहली भेजकर मोग्ल सम्राट फ़ूखसियर से कुछ फ़रमान भी प्राप्त कर लिए जिससे उनको कक्कत्ता ओर मद्रास के आस-पास के कुछ गाँवों पर अधिकार मिल गया। कहते हें कि इन फरमानों के द्वारा अंग्रेज़ों को मोग़ल साम्राज्य के अन्तर्गत विधिपूर्वेक स्थान मिल गया। इस काल में अंग्रेज़ी व्यापार ने भी अच्छी उन्नति की। कलकत्ते का व्यापार और उसी के साथ जन-संख्या भी बढ़ी। यद्यपि समुद्री डाकुओं तथा अन्य कारणों से वम्बई की उतनी उन्नति नहीं हुईं किन्तु फिर भी वहाँ की जन-संख्या कलकने से दो तिहाई तक बढ़ी और उसकी सैनिक और नौ-शक्लि कलकत्ता और मद्रास से अधिक रही। बम्बई के अंग्रेज़ों के प्रयत्न से उन्हें पेशवा के राज्य में स्वतंत्र व्यापार करने का अधिकार प्राप्त हौ गया । मद्रास ने भी अपनी रक्षा के साधन सुदृढ़ बना लिये। यद्यपि चारों ओर गोलमाल जारी रहा किन्तु अंग्रेज़ी तोपों की संरक्षा में मद्रास ने भी व्यापार और जन-संख्या में उन्नति की।




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